Bangladesh: बांग्लादेश पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर अदालत का बड़ा फैसला आज

बांग्लादेश की अदालत आज पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर अपना फैसला सुनाने वाली है। शेख हसीना पर पांच गंभीर आरोप लगे हैं, जिन पर सुनवाई 23 अक्टूबर को समाप्त हो गई थी। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) में न्यायाधीशों ने फैसला पढ़ना शुरू कर दिया है।

जानकारी के अनुसार, शेख हसीना के खिलाफ हत्या और साजिश के गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिसके तहत उन्हें फांसी की सजा दिए जाने की मांग की जा रही है। 23 अक्टूबर को सुनवाई समाप्त होने के बाद न्यायाधीशों ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। यह फैसला 400 पृष्ठों का है, जिसे छह भागों में बांटा गया है। फैसले के विस्तृत होने के कारण इसे सुनाने में कुछ समय लग सकता है।

अदालत में चल रहे इस मामले में शेख हसीना के अलावा बांग्लादेश के पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल का नाम भी शामिल है। जस्टिस मोहम्मद गोलाम मजूमदार की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की पीठ इस मामले पर फैसला सुनाएगी।

अदालत ने कहा है कि कई रिपोर्टों में यह दावा किया गया है कि शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों पर हमले का आदेश दिया था, जिसके कारण कई लोगों की मौत हो गई। अदालत को पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ कई साक्ष्य भी मिले हैं, जो आरोपों की गंभीरता को बढ़ाते हैं। फैसले को सुनाने से पहले इसे पढ़कर रिकॉर्ड में रखा जा रहा है, यही वजह है कि इसमें थोड़ी देरी हो सकती है।

बांग्लादेश में कई विपक्षी दल शेख हसीना के लिए फांसी की मांग कर रहे हैं। हालांकि, शेख हसीना ने इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उन पर लगे आरोप पूरी तरह से गलत हैं और उन्हें किसी भी फैसले से कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन्होंने दृढ़ता से कहा, “मुझे फर्क नहीं पड़ता। यह जिंदगी अल्लाह ने दी है और वही वापस ले लेंगे। आवामी लीग जमीन से उठी है। यह आसान नहीं होता है। मुझे बांग्लादेश के लोगों पर पूरा विश्वास है। वे इस भ्रष्टाचारी, उग्रवादी और हत्यारे यूनुस समेत उसके सहयोगियों को उखाड़ फेंकेंगे। लोग न्याय जरूर करेंगे।”

शेख हसीना ने अपने समर्थकों को एक संदेश देते हुए कहा, “मैं जिंदा हूं, जिंदा रहूंगी और लोगों की भलाई के लिए काम करती रहूंगी। मैं बांग्लादेश के लोगों के लिए न्याय करूंगी। जो लोग मुझ पर मानवाधिकार के उल्लंघनों का आरोप लगा रहे हैं, उन्हें बता दूं कि मैंने दस लाख रोहिंग्या शरणार्थियों को बांग्लादेश में शरण दी थी।”

यह फैसला बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसका परिणाम देश की राजनीति और भविष्य की दिशा को प्रभावित कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी इस फैसले पर कड़ी नजर है, खासकर मानवाधिकारों और न्याय प्रक्रिया के पहलुओं पर।

 

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