नई दिल्ली: सरकार ने लाल किले के पास हुए कार विस्फोट को एक ‘आतंकवादी घटना’ करार दिया है. जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है कि विस्फोटकों से भरी कार चला रहे उमर नबी नामक व्यक्ति ने 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी के मौके पर राष्ट्रीय राजधानी में एक बड़े हमले को अंजाम देने की योजना बनाई थी. सोमवार शाम हुए इस घातक विस्फोट में 12 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे.
जांच में शामिल अधिकारियों ने बताया कि उमर नबी और एक अन्य प्रमुख संदिग्ध, मुजम्मिल गनई, ने 2021 में तुर्किये की अपनी यात्रा के दौरान प्रतिबंधित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के सक्रिय सदस्यों से मुलाकात की थी. समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि उमर नबी ने 6 दिसंबर को बाबरी ढांचा विध्वंस की बरसी के आसपास एक शक्तिशाली विस्फोट करने की विस्तृत योजना बनाई थी. गिरफ्तार किए गए आठ लोगों से पूछताछ और उनके परिवार, दोस्तों व पड़ोसियों से बातचीत के बाद उसकी इस नापाक योजना का खुलासा हुआ है.
फरीदाबाद के अल फलाह विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले मुजम्मिल अहमद गनी, जिसे मुसैब के नाम से भी जाना जाता है, की गिरफ्तारी से उमर की यह योजना नाकाम हो गई थी. अधिकारियों का दावा है कि गनी के साथ 2021 में तुर्किये की यात्रा ने उमर के भीतर नाटकीय बदलाव और कट्टरता को जन्म दिया. इस यात्रा के बाद, उमर ने कथित तौर पर गनी के साथ मिलकर अमोनियम नाइट्रेट, पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर जैसे विस्फोटक जमा करना शुरू कर दिया था. इन विस्फोटकों को अल फलाह परिसर और उसके आसपास छिपाया गया था.
उमर इंटरनेट पर उपलब्ध स्रोतों से वाहन-आधारित इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) के निर्माण और विस्फोट सर्किट के बारे में जानकारी जुटा रहा था और उसे असेंबल कर रहा था. कार में विस्फोट करने से पहले, उमर ने एक चारदीवारी वाली मस्जिद में शरण ली थी, जहां वह शाम तक लगभग तीन घंटे रुका और फिर गाड़ी चलाकर निकल गया था.
जांच के दौरान यह भी सामने आया है कि इस मॉड्यूल के हैंडलर उमर और अन्य सदस्यों के संपर्क में थे. उमर और मुजम्मिल के पासपोर्ट से पता चलता है कि उन्होंने 2021 में कुछ टेलीग्राम समूहों में शामिल होने के तुरंत बाद तुर्किये की यात्रा की थी. अधिकारियों ने बताया कि एक हैंडलर ने ‘डॉक्टर मॉड्यूल’ को तुर्किये यात्रा के बाद पूरे भारत में फैलने और चुने गए लक्षित स्थानों पर हमला करने का निर्देश दिया था. जांचकर्ताओं ने दो टेलीग्राम समूहों के माध्यम से ‘डॉक्टर मॉड्यूल’ के सदस्यों को कट्टरपंथी बनाने का पता लगाया है, जिनमें पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद के उमर बिन खत्ताब द्वारा संचालित एक समूह भी शामिल है.
विस्फोट स्थल पर क्षतिग्रस्त कार के सभी हिस्सों को मंगलवार देर रात ट्रक में भरकर रोहिणी स्थित फोरेंसिक साइंस लैब (FSL) में जांच के लिए ले जाया गया है. वहां FSL, CBI और NIA की फोरेंसिक टीमें कार से नमूने उठाकर उनकी जांच कर रही हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि धमाके के बाद वाहनों में लगी आग को बुझाने के लिए अग्निशमन कर्मियों को पानी का इस्तेमाल करना पड़ा, जिससे विस्फोटक में इस्तेमाल हुए रसायन धुल गए. इसी कारण तीन दिन बाद भी विस्फोटक के बारे में कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकल पाया है.
धमाके में क्षतिग्रस्त अन्य सभी वाहनों के साथ-साथ आसपास की जमीन और अन्य जगहों से भी नमूने एकत्र कर उनकी जांच की जा रही है. मौके से 200 से अधिक नमूने उठाए गए हैं, जिनकी लैब में जांच चल रही है. मौके पर भी फोरेंसिक वैन में कुछ नमूनों की प्रारंभिक जांच की जा रही है, ताकि जल्द से जल्द विस्फोट के पीछे के रहस्यों का पर्दाफाश किया जा सके.
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