बरेली में एक सप्ताह पहले हुए उपद्रव के बाद शुक्रवार की नमाज से पहले शहर में सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी कर दी गई है. शहर में आठ हजार पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं और पूरे शहर को पांच सेक्टर में बांटा गया है, जिसमें प्रत्येक सेक्टर का प्रभारी एक एएसपी को बनाया गया है. 13 सीओ, 700 दारोगा, 2500 सिपाही और दूसरे जिलों से आई फोर्स को चौराहों और मस्जिदों के आसपास तैनात किया गया है.
सतर्कता बरतते हुए गुरुवार दोपहर तीन बजे से शनिवार दोपहर तीन बजे तक 48 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं. अधिकारियों का तर्क है कि इंटरनेट मीडिया और व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए अराजक तत्व माहौल बिगाड़ने वाले संदेश भेज सकते हैं. शुक्रवार सुबह नौ बजे से ही संवेदनशील क्षेत्रों में ड्रोन से निगरानी शुरू कर दी गई है.
इस बीच मंगलवार को दरगाह आला हजरत की ओर से बयान जारी किया गया था कि एकतरफा कार्रवाई न की जाए और निर्दोषों पर कार्रवाई का विरोध किया जाएगा. ताबड़तोड़ कार्रवाई के बीच एक बार फिर शुक्रवार आया तो सुरक्षा का नया प्लान बनाया गया है. अधिकारियों के अनुसार, निषेधाज्ञा लागू होने के कारण भीड़ जुटाने की अनुमति नहीं है और ऐसा करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. गुरुवार शाम से ही सभी संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है. आठ ड्रोन टीम, 15 क्यूआरटी और दंगा नियंत्रण उपकरणों से लैस टीमें लगाई गई हैं. स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत लगे पांच हजार से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी की जा रही है.
कानपुर के ‘आई लव मोहम्मद’ लिखे पोस्टर विवाद की आड़ में 26 सितंबर को जुमा की नमाज के बाद उपद्रव हुआ था. इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल अध्यक्ष के आह्वान पर आई भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर फायरिंग की और पेट्रोल बम फेंके थे, जिसमें 22 पुलिसकर्मी घायल हुए थे. उस दिन लाठीचार्ज कर स्थिति को नियंत्रित किया जा सका था. इसके बाद तौकीर, उसके करीबी नफीस, नदीम समेत 86 उपद्रवियों को जेल भेजा गया है. सभी पर पुलिस पर जानलेवा हमला, बलवा, सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने और पुलिस से लूट आदि धाराओं में मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं. उपद्रवियों के अवैध भवनों की सीलिंग और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई भी होने लगी है.
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने गुरुवार को बयान जारी किया कि जुमा की नमाज के बाद मुसलमान अपने घरों में लौट जाएं. उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति धरना-प्रदर्शन के लिए बुलाए तो कतई न जाएं, क्योंकि कुछ मस्जिदों के इमाम राजनीति का हिस्सा बन जाते हैं, ऐसे लोगों से वास्ता खत्म कर लें. उन्होंने इमामों से अपील की कि मस्जिदों से शांति की अपील करें और पैगंबर-ए-इस्लाम ने टकराव की नीति कभी नहीं अपनाई, बल्कि अपने विरोधियों से समझौता किया. उन्होंने कहा कि पोस्टर-बैनर सिर्फ दिखावा है.
इसके अलावा, दरगाह आला हजरत से जुड़े संगठन जमात रजा-ए-मुस्तफा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान हसन खान ने अपील की कि शांति-सद्भाव बनाए रखने में प्रशासन का सहयोग करें और जुमा की नमाज के बाद भीड़ का हिस्सा न बनें.
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