Uttarpradesh: तथ्य छिपाकर अनुकंपा नौकरी पाने वालों की बढ़ेगी मुसीबत

बदायूं। जिन कर्मचारियों या शिक्षकों ने तथ्यों को छिपाकर मृतक आश्रित के रूप में नौकरी हासिल की है, उनकी दिक्कतें अब बढ़ सकती हैं। सभी विभाग ऐसे कर्मचारियों का पता लगाने में जुट गए हैं, जिससे ऐसे कर्मचारियों में खलबली मच गई है।

किसी भी कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाने पर उसके आश्रित को अनुकंपा नौकरी दी जाती है। नियम यह है कि यदि पति-पत्नी दोनों ही राजकीय सेवा में हैं और किसी एक की मृत्यु सेवा के दौरान होती है, तब आश्रित बच्चों को अनुकंपा नौकरी नहीं दी जा सकती। इसके संबंध में सभी विभागों के उच्चाधिकारियों को निर्देश भी रहते हैं।

इसके बावजूद बहुत से अधिकारी तथ्यों की जांच किए बिना ही ऐसे कर्मचारियों या शिक्षकों को अनुकंपा नौकरी प्रदान कर देते हैं, जो पात्र की श्रेणी में नहीं आते हैं। जो कर्मचारी या शिक्षक तथ्यों को छिपाकर अनुकंपा नौकरी हासिल करते हैं, उसके पीछे उनके विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों से मिलीभगत रहती है। गलत तरीके से अनुकंपा नौकरी हासिल करने वाले कर्मचारियों और शिक्षकों की उनके विरोधियों द्वारा शासन स्तर पर शिकायतें की गईं, तब मामले खुलकर सामने आए। हालांकि, विभागीय अधिकारियों ने शिकायतों के बाद ऐसे कर्मचारी शिक्षकों की फाइल तलब कर उनसे सारे तथ्य भी मांगे, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई।

अनुकंपा नौकरी गलत तरीके से लेने की शिकायत शासन स्तर पर होने के बाद से फिर से विभाग ऐसे कर्मचारियों की कुंडली खंगालने में जुट गए हैं। सूत्रों के अनुसार, तथ्यों को छिपाकर नौकरी हासिल करने वाले कर्मचारियों में खलबली मची हुई है और वे अपने बचाव में हर स्तर पर जुटे हुए हैं। सभी विभाग अपनी रिपोर्ट शासन को भेजेंगे। इस बात का तभी राजफाश हो पाएगा कि कितने कर्मचारियों या शिक्षकों ने अनुकंपा नौकरी गलत तरह से प्राप्त की है।

निकायों में भी हुई है गलत नियुक्तियां

नियम अनुसार वही व्यक्ति अनुकंपा नौकरी हासिल कर सकता है, जिसके माता या पिता में से एक व्यक्ति राजकीय सेवा में है और सेवा के दौरान ही उसकी मृत्यु हो गई हो। ऐसे में उसके पति, पत्नी या बेटा-बेटी को ही अनुकंपा नौकरी मिल सकती है, बाकी मृतक के भाई या अन्य को नहीं। लेकिन बताते हैं कि निकायों में ऐसे लोगों को भी अनुकंपा के रूप में नौकरी दे दी गई है, जो उसके पात्र ही नहीं हैं। यदि निकायों में भी अनुकंपा के रूप में नौकरी लेने वाले सभी कर्मचारियों की जांच की जाए तो बहुत से कर्मचारी लपेटे में आ सकते हैं।

जिम्मेदारों पर भी हो सकती है कार्रवाई

जब भी किसी व्यक्ति को अनुकंपा के रूप में नौकरी दी जाती है, तब संबंधित विभाग के अधिकारियों द्वारा उसके सारे तथ्यों की जांच की जाती है। उसके बाद ही संबंधित व्यक्ति को अनुकंपा नौकरी दी जाती है। ऐसे में स्पष्ट है कि किसी भी अधिकारी ने गलत तरीके से किसी कर्मचारी या शिक्षक को अनुकंपा नौकरी दी है तो उस अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद जागे

हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ऐसे ही एक मामले में अपना आदेश सुनाया है, जिसमें एक व्यक्ति ने तथ्यों को छिपाकर अनुकंपा नौकरी हासिल की है। इस व्यक्ति के माता-पिता दोनों ही राजकीय सेवा में थे, लेकिन अनुकंपा नौकरी लेते समय इस व्यक्ति ने अपनी मां के शिक्षिका होने की बात छिपाई थी। यह मामला सामने आने के बाद अधिकारियों ने खोजबीन शुरू कर दी है।

 

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