SC: मैसूर दशहरा समारोह- सुप्रीम कोर्ट ने बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की – The Hill News

SC: मैसूर दशहरा समारोह- सुप्रीम कोर्ट ने बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें कर्नाटक सरकार के मैसूर दशहरा समारोह के उद्घाटन के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने के फैसले को चुनौती दी गई थी. यह उत्सव 22 सितंबर को शुरू होने जा रहा है.

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने 19 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान अपील खारिज करते हुए याचिकाकर्ता के वकील से सवाल किया कि “इस देश की प्रस्तावना क्या है और राज्य ‘ए’, ‘बी’ और ‘सी’ में कैसे अंतर कर सकता है?”

हाईकोर्ट के आदेश को एससी ने रखा बरकरार

शीर्ष न्यायालय में दायर की गई अपील में 15 सितंबर के कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें मुश्ताक को राज्य के निमंत्रण को बरकरार रखा गया था.

याचिकाकर्ता एचएस गौरव के वकील ने न्यायालय को बताया कि उन्हें उद्घाटन पर कोई आपत्ति नहीं है, जिसे उन्होंने एक धर्मनिरपेक्ष गतिविधि बताया. हालांकि, उन्होंने मंदिर परिसर के अंदर होने वाले कार्यक्रमों पर आपत्ति जताई. उन्होंने तर्क दिया कि “यह पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष गतिविधि नहीं है. यह एक आध्यात्मिक या धार्मिक कृत्य का रंग ले लेती है.”

इस पर पीठ ने कहा कि “यह कोई निजी कार्यक्रम नहीं है. राज्य इसका आयोजन कर रहा है. राज्य ‘ए’, ‘बी’ और ‘सी’ में कैसे अंतर कर सकता है?” इसके साथ ही अदालत ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक आदेश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि याचिकाकर्ताओं में से एक ने डॉ. निसार अहमद के साथ मंच साझा किया था, जिन्होंने साल 2017 में उत्सव का उद्घाटन किया था.

याचिकाकर्ता के तर्क और सुप्रीम कोर्ट का रुख

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इस कार्यक्रम के दो भाग हैं, जिसमें उद्घाटन और पूजा शामिल है. उन्होंने तर्क दिया कि राज्य के इस फैसले से उनके अनुच्छेद 25 के अधिकारों का उल्लंघन होता है, जो धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी है. पीठ ने पूछा कि यह मुद्दा साल 2017 में क्यों नहीं उठाया गया.

वकील ने सुप्रीम कोर्ट में पिछले कुछ निर्णयों का हवाला दिया और कहा कि “वे मेरी धार्मिक गतिविधियों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते.” मंदिर की गतिविधियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि “इन परिस्थितियों में जब उस विशेष कार्य का रंग, जहां मंदिर परिसर के अंदर एक समारोह और पूजा आयोजित की जा रही है. उन्हें उस समारोह का हिस्सा बनाया जा रहा है, जिससे वह बिल्कुल अलग हैं.”

हालांकि, सभी दलीलों को सुनने के बाद पीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया. न्यायमूर्ति नाथ ने जोर देते हुए कहा कि “हमने तीन बार कहा है कि ये याचिका खारिज की जाती है.”

Pls read:SC: जामनगर के वंतारा को SIT से मिली क्लीन चिट, जानवरों की अनदेखी के आरोप खारिज

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *