देहरादून में मूसलाधार बारिश ने भारी तबाही मचाई है, जिससे नदियाँ उफान पर हैं और कई इलाकों में भूस्खलन हुआ है। इस प्राकृतिक आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 21 हो गई है, जबकि 14 लोग अभी भी लापता हैं। मसूरी, सहस्रधारा और विकासनगर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों का राजधानी देहरादून से सीधा संपर्क टूट गया है, जिससे बचाव और राहत कार्यों में बाधा आ रही है।
नदी से मिले शव, और बारिश की चेतावनी
रायपुर क्षेत्र के सौड़ा सरोली और गुलरघाटी में सोंग नदी से दो व्यक्तियों के शव बरामद हुए हैं, जो संभवतः नदी के तेज बहाव में बह गए थे। इसके अतिरिक्त, आसन नदी में भी एक और शव मिला है। मौसम विभाग ने बुधवार को देहरादून और नैनीताल में कहीं-कहीं भारी वर्षा की संभावना जताई है, जिसके लिए ‘यलो अलर्ट’ जारी किया गया है। यह चेतावनी उन इलाकों के लिए और भी चिंताजनक है जो पहले से ही आपदा की मार झेल रहे हैं।
जल संस्थान को करोड़ों का नुकसान, पेयजल संकट गहराया
भारी बारिश और भूस्खलन के कारण जल संस्थान को भी करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। पेयजल लाइनें ध्वस्त होने से देहरादून की दो लाख से अधिक आबादी के सामने गंभीर पेयजल संकट खड़ा हो गया है। लोग पानी के लिए परेशान हो रहे हैं, और कई इलाकों में पीने के पानी की भारी किल्लत है। मंगलवार को प्रभावित परिवारों को टैंकरों के माध्यम से पानी उपलब्ध कराया गया, लेकिन यह अस्थायी समाधान है। जल संस्थान ने क्षतिग्रस्त लाइनों को जोड़ने के लिए अस्थायी व्यवस्था करने का दावा किया है, लेकिन बड़े पैमाने पर बहाली में समय लगने की संभावना है।
छह घंटे की बारिश ने दी 100 करोड़ से अधिक की चोट
देहरादून में मात्र छह घंटे की मूसलाधार बारिश ने शहर को 100 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुँचाया है। बिजली, पानी और लोगों की चल-अचल संपत्ति को भारी क्षति हुई है। सड़कें टूट गई हैं, पुल बह गए हैं, और कई मकान ढह गए हैं या क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इस विनाशकारी बारिश ने शहर के बुनियादी ढांचे को बुरी तरह प्रभावित किया है, और सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
बचाव और राहत कार्य जारी
स्थानीय प्रशासन, पुलिस और आपदा राहत टीमें बचाव और राहत कार्यों में जुटी हुई हैं। लापता लोगों की तलाश जारी है और प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा रहा है। सड़कों और पेयजल लाइनों की बहाली का काम भी युद्धस्तर पर चल रहा है। हालांकि, लगातार बारिश और भूस्खलन के खतरे के कारण इन कार्यों में चुनौतियां आ रही हैं। सरकार ने प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है, और स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है।