Cricket: जब सहवाग ने बना लिया था संन्यास का मन, सचिन तेंदुलकर की एक सलाह ने बदल दी कहानी – The Hill News

Cricket: जब सहवाग ने बना लिया था संन्यास का मन, सचिन तेंदुलकर की एक सलाह ने बदल दी कहानी

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट के इतिहास में जब भी सबसे विस्फोटक और निडर बल्लेबाजों की बात होती है, तो वीरेंद्र सहवाग का नाम सबसे ऊपर आता है। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब यह ‘नजफगढ़ का नवाब’ अपने करियर के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा था और उन्होंने वनडे क्रिकेट को हमेशा के लिए अलविदा कहने का मन बना लिया था। हाल ही में एक पॉडकास्ट में सहवाग ने खुद इस बात का खुलासा किया कि कैसे 2008 में वह संन्यास लेने के कगार पर थे, लेकिन ‘क्रिकेट के भगवान’ सचिन तेंदुलकर की एक सलाह ने न केवल उनका मन बदला, बल्कि उनके करियर को एक नई उड़ान भी दी।

जब धोनी ने टीम से किया बाहर

सहवाग ने 2007-08 में ऑस्ट्रेलिया में हुई प्रसिद्ध सीबी सीरीज को याद करते हुए बताया कि उस दौरे पर उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने उन्हें पहले तीन मैचों के बाद प्लेइंग इलेवन से बाहर कर दिया था। टीम में अपनी जगह खो देने से सहवाग बेहद निराश और हताश हो गए थे। उन्होंने बताया, “उस सीरीज में मैंने पहले तीन मैच खेले और फिर एमएस धोनी ने मुझे टीम से बाहर कर दिया। मुझे कुछ समय तक टीम में नहीं चुना गया। तब मुझे लगा कि अगर मैं प्लेइंग इलेवन का ही हिस्सा नहीं हूं, तो फिर वनडे क्रिकेट खेलने का कोई मतलब नहीं है।”

सचिन तेंदुलकर बने संकटमोचक

निराशा के इस गहरे दौर में, सहवाग ने वनडे क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला कर लिया। इस भावुक क्षण में उन्होंने अपने आदर्श और टीम के वरिष्ठ साथी सचिन तेंदुलकर से बात करने का फैसला किया। सहवाग ने सचिन को अपने दिल की बात बताते हुए कहा, “मैं वनडे क्रिकेट से संन्यास लेने की सोच रहा हूं।”

इस पर सचिन ने उन्हें शांत करते हुए जो कहा, उसने सहवाग के सोचने का नजरिया ही बदल दिया। तेंदुलकर ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा, “नहीं, ऐसा मत करो। मैं भी 1999-2000 में ऐसे ही मुश्किल समय से गुजरा हूं, जहां मुझे लगा कि मुझे क्रिकेट छोड़ देना चाहिए। लेकिन वो समय आया और चला गया। करियर में आप खराब दौर से गुजरते हैं, लेकिन यह समय भी बीत जाता है। जब तुम भावुक हो तो कोई भी फैसला मत लो। खुद को एक या दो सीरीज का और समय दो और उसके बाद फैसला करना।”

सलाह ने किया काम, फिर की धांसू वापसी

सचिन की इस सलाह ने सहवाग पर जादू की तरह काम किया। उन्होंने संन्यास का विचार त्याग दिया और अपनी वापसी के लिए कड़ी मेहनत करने लगे। इसके बाद जो हुआ, वह इतिहास है। सहवाग ने न केवल टीम में एक धमाकेदार वापसी की, बल्कि रनों का अंबार लगा दिया। वह 2011 में भारत को विश्व कप जिताने वाली टीम के एक महत्वपूर्ण स्तंभ बने और टूर्नामेंट में भारत को विस्फोटक शुरुआत दिलाई। अपने शानदार करियर में सहवाग ने 251 वनडे मैचों में 104.33 के तूफानी स्ट्राइक रेट से 8273 रन बनाए, जिसमें 15 शतक और 38 अर्धशतक शामिल हैं।

इसी बातचीत में सहवाग ने अपने बेटे आर्यवीर को भी संदेश दिया। उन्होंने कहा कि उस पर हमेशा तुलना का दबाव रहेगा, लेकिन उसे दबाव लेना नहीं, बल्कि देना सीखना होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि उनका बेटा भारत के लिए या कम से कम रणजी ट्रॉफी तक जरूर खेले।

 

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