शिमला। हिमाचल प्रदेश में अवैध खनन के खिलाफ उद्योग विभाग ने एक बड़ा अभियान छेड़ दिया है। इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच चलाए गए इस अभियान में 895 मामले दर्ज किए गए हैं और दोषियों पर 44.31 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया है। यह कार्रवाई प्रदेश में अनियंत्रित खनन पर रोक लगाने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उद्योग निदेशक, डॉ. यूनुस ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अवैध खनन न केवल खनिज संसाधनों का अनियंत्रित दोहन करता है, बल्कि यह पर्यावरणीय संतुलन, जल स्रोतों के संरक्षण और सड़क-पुल जैसे बुनियादी ढांचे के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करता है। उन्होंने बताया कि इस चुनौती को देखते हुए, विभाग ने नीतिगत सुधार, गहन निगरानी और त्वरित कार्रवाई को शामिल करते हुए एक समन्वित प्रयास शुरू किया है। विभाग की भूवैज्ञानिक विंग (Geological Wing) विशेष रूप से खनिज संसाधनों के वैज्ञानिक प्रबंधन, खनन अनुशासन बनाए रखने और राज्य में अवैध खनन की निगरानी में लगी हुई है।
चार महीनों में 900 से अधिक निरीक्षण
डॉ. यूनुस ने बताया कि इस अभियान के तहत अप्रैल से जुलाई, 2025 के बीच विभाग के फील्ड स्टाफ ने राज्य के सभी जिलों में 900 से अधिक निरीक्षण किए। इन निरीक्षणों में खनन की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया। इसके अलावा, उन स्थलों पर भी कार्रवाई की गई, जहाँ नागरिकों ने शिकायत प्रकोष्ठ के माध्यम से अवैध खनन की सूचना दी थी। इन अभियानों की सफलता सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों और तकनीकी विशेषज्ञों की संयुक्त भागीदारी सुनिश्चित की गई।
कड़ी कार्रवाई और कानूनी प्रक्रिया
अभियान के दौरान, विभाग ने अवैध खनन के कुल 895 मामले दर्ज किए। दोषियों पर 44,31,500 रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया, जिससे न केवल अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगा, बल्कि राज्य को होने वाले राजस्व के नुकसान को भी रोका गया। इसके साथ ही, यह सुनिश्चित करने के लिए कानूनी कार्यवाही भी शुरू की गई है कि दोषियों को न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से दंडित किया जा सके।
एक महत्वपूर्ण कदम के तहत, अभियान के दौरान पहचाने गए अवैध खनन स्थलों को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है, ताकि उन क्षेत्रों में आगे किसी भी तरह की अवैध खनन की संभावना को खत्म किया जा सके। यह कार्रवाई दर्शाती है कि प्रदेश सरकार अवैध खनन को लेकर कितनी गंभीर है और पर्यावरण की रक्षा के लिए किसी भी स्तर पर कोताही बरतने को तैयार नहीं है। विभाग का लक्ष्य न केवल दोषियों को दंडित करना है, बल्कि भविष्य में ऐसी गतिविधियों को पूरी तरह से रोकना भी है।
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