शिमला: मानसून की विनाशलीला से हर साल करोड़ों का नुकसान झेल रहे हिमाचल प्रदेश को बड़ी राहत मिली है। प्रदेश में आपदा से हुए ढांचागत नुकसान के पुनर्निर्माण के लिए 2388 करोड़ रुपये के ‘डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट’ को मंजूरी मिल गई है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना में विश्व बैंक 2150 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करेगा, जबकि शेष राशि का वहन राज्य सरकार करेगी। यह प्रोजेक्ट मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।
अनुदान के रूप में मिलेगी राशि, प्रदेश पर नहीं पड़ेगा कर्ज का बोझ
इस परियोजना की सबसे खास बात यह है कि विश्व बैंक द्वारा दी जाने वाली धनराशि भारत सरकार के लिए भले ही ऋण के रूप में होगी, लेकिन हिमाचल प्रदेश को विशेष श्रेणी का राज्य होने के कारण यह पूरी राशि अनुदान (Grant) के तौर पर मिलेगी। इसका मतलब है कि इस बड़ी परियोजना के लिए प्रदेश सरकार पर कोई अतिरिक्त कर्ज का बोझ नहीं पड़ेगा। इस राशि का उपयोग मुख्य रूप से पिछले एक साल में आपदा से तबाह हुए बुनियादी ढांचे जैसे कि सड़कें, पुल, सरकारी इमारतें और सिंचाई योजनाओं के पुनर्निर्माण और मजबूतीकरण पर किया जाएगा।
कैसे जमीन पर उतरेगी परियोजना?
परियोजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राज्य सरकार के राजस्व विभाग के आपदा प्रबंधन सेल को नोडल एजेंसी बनाया गया है। प्रक्रिया को गति देने के लिए सभी संबंधित विभागों से विस्तृत प्रस्ताव मांगे गए हैं, ताकि नुकसान का सही आकलन कर एक व्यापक योजना तैयार की जा सके। इन प्रस्तावों के आधार पर ही अंतिम प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर धनराशि का उपयोग किया जाएगा। इस संबंध में जल्द ही हिमाचल सरकार और विश्व बैंक के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरे में बनी थी सहमति
इस महत्वपूर्ण परियोजना को मंजूरी मिलने के पीछे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रयास अहम रहे हैं। बताया जा रहा है कि उनके पिछले दिल्ली दौरे के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ हुई मुलाकात में इस पर सहमति बनी थी। इसे ‘मल्टीलेटरल प्रोजेक्ट कैटेगरी’ के तहत मंजूरी दी गई है। इससे पहले विश्व बैंक की एक टीम भी प्रदेश का दौरा कर आपदा से हुए नुकसान का जायजा ले चुकी है और राज्य के अधिकारियों के साथ बैठकें कर चुकी है। यह प्रोजेक्ट न केवल आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण कार्यों में तेजी लाएगा, बल्कि भविष्य की आपदाओं से निपटने के लिए राज्य की क्षमता को भी मजबूत करेगा।
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