नई दिल्ली। भारत और मालदीव के बीच हाल के महीनों में चले आ रहे कूटनीतिक तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को मालदीव के दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर पहुंचे। ब्रिटेन का अपना दो दिवसीय दौरा पूरा करने के बाद मालदीव की राजधानी माले पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी का भव्य और गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इस यात्रा को दोनों देशों के संबंधों में एक नई शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है।
माले के वेलANA अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री मोदी की अगवानी के लिए खुद मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू मौजूद थे। राष्ट्रपति मुइज्जू ने प्रोटोकॉल से आगे बढ़कर गले लगाकर पीएम मोदी का स्वागत किया, जो दोनों देशों के बीच रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने की एक सकारात्मक पहल का स्पष्ट संकेत है। इस दौरान राष्ट्रपति मुइज्जू के साथ उनके कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री भी उपस्थित थे।
स्वतंत्रता दिवस पर मुख्य अतिथि हैं पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हो रही है। मालदीव सरकार ने उन्हें इस ऐतिहासिक अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है, जो भारत के प्रति सम्मान और महत्व को दर्शाता है। यह निमंत्रण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्रपति मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद से दोनों देशों के संबंधों में खटास आ गई थी।
क्यों महत्वपूर्ण है यह दौरा?
यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और मालदीव के रिश्ते एक चुनौतीपूर्ण दौर से गुजरे हैं। राष्ट्रपति मुइज्जू ने ‘इंडिया आउट’ अभियान के नारे पर चुनाव जीता था और सत्ता में आने के बाद उन्होंने मालदीव में तैनात भारतीय सैनिकों की वापसी की मांग की थी, जिसे भारत ने पूरा भी किया। इसके अलावा, मालदीव के कुछ मंत्रियों द्वारा प्रधानमंत्री मोदी पर की गई अपमानजनक टिप्पणियों से भी संबंधों में कड़वाहट आई थी।
ऐसे में राष्ट्रपति मुइज्जू द्वारा व्यक्तिगत रूप से हवाई अड्डे पर पीएम मोदी का स्वागत करना और उन्हें स्वतंत्रता दिवस पर मुख्य अतिथि बनाना, इस बात का संकेत है कि मालदीव अब भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारने और मजबूत करने का इच्छुक है।
द्विपक्षीय वार्ता और अन्य मुद्दों पर होगी चर्चा
अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मुइज्जू के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी होगी। इस वार्ता में आर्थिक सहयोग, विकास साझेदारी, सुरक्षा और रक्षा सहयोग जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। उम्मीद की जा रही है कि यह यात्रा दोनों देशों के बीच मौजूद गलतफहमियों को दूर करने और आपसी विश्वास को फिर से बहाल करने में एक मील का पत्थर साबित होगी।
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