शिमला। हिमाचल प्रदेश में कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) शिमला-किन्नौर के तहत दुकानों के आवंटन में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। आरोप है कि नियमों को ताक पर रखकर 120 से 150 दुकानों का आवंटन कर दिया गया, जिसमें बड़े पैमाने पर अनियमितताएं बरती गईं। यह मामला सीधे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के संज्ञान में आने के बाद सरकार ने इस पर त्वरित और सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है।
क्या है पूरा मामला?
सूत्रों के अनुसार, एपीएमसी शिमला-किन्नौर के अधीन आने वाली नई और पुरानी मंडियों में दुकानों के आवंटन में भारी गड़बड़झाला हुआ है। शिमला के ढली, टुटू और ऊपरी शिमला के अन्य क्षेत्रों में बनी नई मंडियों के साथ-साथ किन्नौर, रामपुर, रोहड़ू और चौपाल की पुरानी मंडियों में भी दुकानों का आवंटन किया गया। आरोप है कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता का बिल्कुल भी पालन नहीं किया गया। कुछ चुनिंदा आवेदन लेकर ही दुकानें आवंटित कर दी गईं, जबकि इसके लिए खुली बोली जैसी प्रक्रियाओं को नजरअंदाज कर दिया गया।
इस गड़बड़ी का नतीजा यह हुआ कि कई दुकानें बाजार दर से बहुत कम किराए पर आवंटित हो गईं। इससे भी गंभीर आरोप यह है कि दशकों से कारोबार कर रहे अनुभवी आढ़तियों और कारोबारियों को नजरअंदाज कर दिया गया और उनकी जगह ऐसे लोगों को दुकानें दे दी गईं, जिनके पास कारोबार का कोई अनुभव तक नहीं था। माना जा रहा है कि इस पूरे खेल में मंडी समिति के ही कुछ लोगों की संलिप्तता है।
मुख्यमंत्री का कड़ा रुख और त्वरित कार्रवाई
जैसे ही यह मामला मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के संज्ञान में आया, उन्होंने तत्काल एक्शन लिया। उन्होंने एपीएमसी शिमला-किन्नौर के चेयरमैन देवानंद और सचिव पवन सैनी को अपने कार्यालय में तलब किया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने कृषि एवं बागबानी सचिव सी. पालरासू को मामले की गहन जांच करने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
सरकार की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कृषि विपणन बोर्ड के एमडी द्वारा प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंपे जाने से पहले ही, एपीएमसी शिमला-किन्नौर के सचिव समेत चार अन्य कर्मचारियों का वहां से तबादला कर दिया गया। अब प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर एपीएमसी सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया जा रहा है। यदि उनका जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया, तो उन्हें चार्जशीट भी किया जा सकता है।
जांच की वर्तमान स्थिति
कृषि एवं बागबानी सचिव सी. पालरासू, जो विदेश दौरे पर थे, ने दौरे पर जाने से पहले ही जांच बैठा दी थी और कर्मचारियों के तबादले के आदेश जारी कर दिए थे। सोमवार को उनके लौटने के बाद मामले की समीक्षा की जा रही है। मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरे से लौटने के बाद सचिव उन्हें इस पूरे मामले पर विस्तृत रिपोर्ट सौंपेंगे। कृषि मंत्री प्रो. चंद्र कुमार को भी मामले से अवगत करा दिया गया है।
इस मामले में सचिव सी. पालरासू ने कहा, “मामले की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट आ गई है। इसका अध्ययन किया जा रहा है। जो भी दोषी होगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले चार कर्मचारियों का तबादला कर दिया गया था।” अब सबकी निगाहें सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं कि इस बड़े घोटाले में लिप्त अधिकारियों और कर्मचारियों पर क्या कार्रवाई होती है।