चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा में शुक्रवार को मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने केंद्र सरकार, कांग्रेस और भाजपा पर जमकर निशाना साधा। राज्य के बांधों पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की तैनाती का विरोध करने वाले प्रस्ताव पर बहस के दौरान मान ने कहा कि अगर ये दोनों पार्टियां देश को बख्श दें, तो भारत हर क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति कर सकता है।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कांग्रेस और भाजपा पर पिछले कुछ दशकों में देश में विभाजनकारी राजनीति करने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “इन राजनीतिक दलों ने पंथ, क्षेत्र, भाषा और समुदाय के नाम पर लोगों को बांटा है, जिसके कारण राज्य एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हो गए हैं। इनका एकमात्र मकसद सत्ता हासिल करना रहा है, जिसने देश और राज्यों को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है।”
केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री पर तीखे वार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए भगवंत मान ने कहा, “अगर मोदी जी रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध खत्म करा सकते हैं, जैसा कि उनका मीडिया प्रचार करता है, तो उन्हें पंजाब और हरियाणा के बीच सुलह कराने से कौन रोकता है?” उन्होंने कहा कि दोनों राज्य भाइयों की तरह हैं और देश के अन्न भंडार में 70% से अधिक का योगदान करते हैं, लेकिन इन पार्टियों ने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि दोनों राज्यों के बीच ‘मुर्गे की लड़ाई’ चलती रहे ताकि वे सत्ता का आनंद ले सकें।
मान ने केंद्र सरकार पर पंजाब के साथ भेदभाव करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि एक तरफ पंजाब देश की सीमाओं की रक्षा के लिए आतंकवाद और नशे के खिलाफ युद्ध लड़ता है, तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार मदद के लिए किराए पर बल भेजकर भारी-भरकम बिल वसूलती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “दीनानगर (पठानकोट) में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र ने अर्धसैनिक बलों को भेजने के लिए राज्य को 7.5 करोड़ रुपये का बिल भेजा था।”
पानी और बांधों पर पंजाब का हक
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि पंजाब के पास किसी भी अन्य राज्य के साथ साझा करने के लिए एक बूंद भी फालतू पानी नहीं है। उन्होंने कहा कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) एक “सफेद हाथी” बन गया है जो पंजाब के हितों के खिलाफ काम करता है। उन्होंने केंद्र के उस कदम का भी पुरजोर विरोध किया जिसके तहत भाखड़ा बांध पर CISF की तैनाती की जाएगी, जिसका खर्च लगभग 9 करोड़ रुपये सालाना पंजाब को वहन करना पड़ेगा। मान ने कहा, “जब पंजाब पुलिस मुफ्त में बांध की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है, तो हम यह पैसा क्यों दें? अगर हम सीमाओं की रक्षा कर सकते हैं, तो हम अपने बांधों की भी रक्षा कर सकते हैं।”
उन्होंने सिंधु जल संधि को निलंबित करने के केंद्र के हालिया फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) के पानी के अधिक उपयोग की संभावना खुलती है और इस पर पंजाब का पहला हक होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने पंजाब के विपक्ष पर भी हमला बोलते हुए कहा कि वे पानी के मुद्दे पर गैर-गंभीर हैं और राज्य के पानी को लूटने के असली दोषी वही हैं। कुल मिलाकर, मुख्यमंत्री मान ने विधानसभा के मंच से यह स्पष्ट कर दिया कि उनकी सरकार पंजाब के अधिकारों, विशेषकर पानी और सुरक्षा के मामलों पर कोई समझौता नहीं करेगी।
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