शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य में स्थायी और समावेशी शहरी विकास सुनिश्चित करने के लिए एक अभिनव और भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण अपना रही है। इसी कड़ी में, शहरी विकास एवं आवास मंत्री राजेश धरमानी ने सोलन जिले के बसाल में स्थित हाउसिंग कॉलोनी में 24.50 करोड़ रुपये की लागत से दो भव्य ट्विन टावरों के निर्माण को मंजूरी देने की घोषणा की है। यह परियोजना सोलन के शहरी परिदृश्य को आधुनिक बनाने और बढ़ती आवासीय जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
आधुनिक सुविधाओं से लैस होंगे आवास
शहरी विकास मंत्री ने परियोजना का विवरण देते हुए बताया कि इन ट्विन टावरों में 24 तीन-बीएचके (3-BHK) फ्लैटों का निर्माण किया जाएगा। प्रत्येक फ्लैट को आधुनिक जीवनशैली की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया जाएगा और सभी फ्लैट मालिकों के लिए पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध होगी। यह परियोजना न केवल लोगों को एक गुणवत्तापूर्ण आवास प्रदान करेगी, बल्कि यह क्षेत्र में सुनियोजित शहरी विकास को भी बढ़ावा देगी। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश आवास एवं शहरी विकास प्राधिकरण (हिमूडा) प्रदेश में लोगों को किफायती और सुविधाजनक आवास सुविधाएं प्रदान करने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहा है और यह परियोजना इसी प्रतिबद्धता का एक जीता-जागता उदाहरण है।
समय पर पूरे होंगे सभी प्रोजेक्ट
धरमानी ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार केवल योजनाओं की घोषणा करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें समय पर धरातल पर उतारने के लिए भी पूरी तरह से कटिबद्ध है। उन्होंने कहा, “अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि सभी प्रमुख परियोजनाओं को निर्धारित समय-सीमा के भीतर पूरा किया जाए, ताकि गुणवत्ता सुनिश्चित हो और लोगों को इन योजनाओं का लाभ बिना किसी देरी के मिल सके।” यह निर्देश सरकार की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की मंशा को दर्शाता है।
यह पहल राज्य सरकार की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत प्रदेश के शहरी क्षेत्रों को अधिक व्यवस्थित, टिकाऊ और रहने योग्य बनाया जा रहा है। सोलन में इन ट्विन टावरों का निर्माण न केवल स्थानीय निवासियों के लिए एक बेहतर आवासीय विकल्प प्रस्तुत करेगा, बल्कि यह राज्य के अन्य शहरों के लिए भी एक मॉडल के रूप में काम करेगा, जो भविष्य में इसी तरह की विकास परियोजनाओं को प्रेरित करेगा। सरकार का लक्ष्य है कि शहरी विकास पर्यावरण के अनुकूल हो और इसमें समाज के सभी वर्गों की जरूरतों का ध्यान रखा जाए।
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