अमृतसर। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ई-जमाबंदी पोर्टल लॉन्च करते हुए कहा कि अब लोगों को जमाबंदी, रजिस्ट्री और इंतकाल से जुड़े कामों के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे और न ही किसी कर्मचारी द्वारा उन्हें परेशान किया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले लोगों को बेवजह परेशान किया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। सरकार द्वारा एक ड्राफ्ट पेपर उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे लोग खुद रजिस्ट्री लिख सकेंगे। यह सुविधा खरीदार और विक्रेता दोनों के लिए होगी और किसी भी तहसील में रजिस्ट्री कराई जा सकेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तहसीलदार के पास ज्यादा रजिस्ट्री होंगी, यह स्पष्ट होगा कि उसका लोगों के साथ व्यवहार अच्छा है। जिस अधिकारी के पास काम कम होगा, इसका मतलब लोग उसके पास जाना पसंद नहीं करते।
मुख्यमंत्री ने बताया कि अगस्त तक पटवारखाना भी बंद हो जाएगा और उसका काम भी ऑनलाइन हो जाएगा। फर्द, रजिस्ट्री और इंतकाल सभी कुछ ऑनलाइन हो गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार का उद्देश्य कर्मचारियों को बेरोजगार करना नहीं है, बल्कि उनके काम करने का तरीका बदलना है। उन्हें अन्य सरकारी विभागों में काम दिया जाएगा। रजिस्ट्री करवाने वाले को खुद रजिस्ट्री लिखने या सेवा केंद्र से लिखवाने की छूट होगी।
मान ने कहा कि अब रजिस्ट्री उर्दू में नहीं, बल्कि सरल भाषा में लिखी जा सकेगी, जिससे भ्रष्टाचार की गुंजाइश नहीं रहेगी। तहसीलों और उप-तहसीलों में एयर कंडीशनर और अन्य सुविधाएं मुहैया कराने का काम जारी है।
एनआरआई लोगों को अब विदेश में बैठे ही ऑनलाइन इंतकाल करवाने की सुविधा मिलेगी। उन्हें अपने काम छोड़कर भारत आने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। सरकार कोई भी फैसला लोगों की सहमति के बिना नहीं लेगी।
बिजली की स्थिति पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अब लगातार बिजली मिलने से किसानों को खुद मोटर बंद करके घर लौटना पड़ता है। पहले बिजली कई घंटों तक कटौती के बाद मिलती थी, जिससे खेतों की सिंचाई में समस्या होती थी। अब एक ही दिन में खेत भरकर धान की रोपाई शुरू कर दी जाती है।
मान ने यह भी बताया कि 19,000 किलोमीटर सड़कों के लिए बजट पास कर दिया गया है और ठेकेदारों के साथ बैठक की गई है। घटिया सामग्री का इस्तेमाल करने वाले ठेकेदारों को आगे कोई भी टेंडर नहीं दिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी तरह के भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में हर मतदाता का उतना ही अधिकार है जितना किसी विधायक, मंत्री या अधिकारी का, और पंचायतों से जुड़े सभी काम सरपंचों से परामर्श करके किए जाएंगे।
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