(1) सहुलियत के हिसाब से टाईम टेबल बनाएं-
बच्चों की परफॉर्मेंस सुधारने के लिए पेरेंट्स अपने बच्चों के time management में सहायता करें। बच्चों की सहूलियत के हिसाब से time table बनाएं। पढ़ाई के अनुसार 7 से 8 घंटों की नींद और लगभग 1 घंटे का खेलना भी शामिल करें।
(2) बच्चों को समझने का प्रयास करें-
बच्चों की मनोस्थिति को समझने का प्रयास करें। बच्चे यदि किसी समस्या के बारे में बताना चाह रहे हों तो उनकी बातें ध्यान पूर्वक सुनें और समझें। परीक्षा के दिनों में बच्चे अक्सर अत्यधिक तनाव से गुज़रते हैं। वे अपनी घबराहट को किसी से शेयर नहीं कर पाते। जिसका परिणाम घातक हो सकता है।
(3) पढ़ाई के समय बच्चों को अकेला न छोड़ें-
बच्चा जब पढ़ाई कर रहा हो तब उसे अकेला कतई न छोड़ें। उसके इर्द-गिर्द मौजूद रहें ताकि बच्चे को पढ़ाई से बोरियत महसूस न हो। इस करने से बच्चे का मन पढ़ाई में लगा रहेगा। ऐसे समय में फ़ोन या लैपटॉप में व्यस्त रहने के बजाय आप उसकी मदद करें।
(4) बच्चों की तुलना किसी से न करें-
बच्चों की कभी दूसरों से तुलना न करें। ऐसा करने से उसका परफार्मेंस और आत्मविश्वास दोनों ही कम होंगे। इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि जिन बच्चों के कम नम्बर आते हैं। अधिकतर ऐसे ही बच्चे सफ़ल होते हैं। बस ज़रूरत होती है उन्हें उचित मार्गदर्शन और प्रोत्साहन की।
(5) बच्चों को दोस्त बनाएं-
बच्चों के साथ मित्र जैसा व्यवहार रखें। ताकि बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ सके। आपके इस व्यवहार से बच्चा आपके साथ अपने दिल की हर बात कहना शुरू कर देगा। फलस्वरूप आप अपने बच्चों की समस्याओं को भलीभाँति जान सकेंगे। साथ ही संभावित निराकरण का प्रयास कर सकेंगे।