देहरादून: खारखीव में फंसी दून की गजला खान रूह कंपा देने वाले बम धमाकों के बीच बुधवार को हंगरी बार्डर की तरफ बढ़ चुकी हैं। गजला खारखीव से हंगरी तक के सफर को सोच कर ही सिहर उठती है। हर मिनट धरती में कंपन उत्पन्न कर देने वाले धमाकों के बीच वह किस तरह अपने कुछ साथियों के साथ बंकर से निकल कर खारखीव मेट्रो स्टेशन पर पहुंची। वहां से कई घंटों के इंतजार के बाद उसे ट्रेन में जगह मिली। बुधवार सुबह सभी लवीव पहुंचे तो भी राहत की सांस नहीं आई। अब यहां से बस से हंगरी बार्डर की तरफ बढ़ रहे हैं। अब मन में उम्मीद के अंकुर फूटे हैं, लेकिन चिंता भी सता रही है कि घर कब तक पहुंच पाऊंगी।
युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसी दून की गजाला खान ने दि हिल न्यूज डाट इन से सहमी आवाज में अपनी दास्तां बयां की। देहरादून के माजरा में रहने वाली गजाला यूक्रेन की खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी से चिकित्सा की पढ़ाई कर रही हैं। रूस-यूक्रेन के बीच छिड़े संघर्ष के पहले दिन से ही गजाला खारकीव में थीं। लेकिन, मंगलवार को जैसे ही भारतीय दूतावास ने उन्हें हर हाल में वहां से निकलने की गाइडलाइन जारी की तो सबसे पहले उनको ख्याल आया कि धमाकों के बीच कैसे सड़क पर जाएं। कुछ कुछ देरी से लगातार खारखीव पर रूस के मिसाइल और आर्टिलरी हमले हो रहे थे। विपरीत हालात में भी गजाला को भी अपने सहपाठियों के साथ बमबारी के बीच पैदल मेट्रो स्टेशन के लिए रवाना होना पड़ा। खारकीव में हालात बहुत भयावह हो गए हैं।
गजाला खारकीव में अपने सहपाठियों के साथ एक इमारत में रुकी थीं। मंगलवार को उनके लवीव के लिए निकलने से पहले ही उस इमारत के नजदीक एक बम धमाका हुआ, जिसमें शापिंग कांप्लेक्स ध्वस्त हो गया। इसने पहले से डरी-सहमी गजाला व उनके सहपाठियों के भय को और बढ़ा दिया। मेट्रो स्टेशन तक पहुंचने के लिए तमाम प्रयास के बाद भी कोई वाहन नहीं मिला। वाहन की तलाश में धीरे-धीरे समय गुजरता जा रहा था। बम के धमाके भी जारी थे। ऐसे में सभी ने पैदल ही स्टेशन तक जाने का निर्णय लिया। एक-दूसरे को ढाढस बंधाते हुए सभी इमारत से निकले। रास्ते में एक तरफ बमबारी की चपेट में आ जाने का भय सता रहा था तो दूसरी तरफ घर पहुंचने की आस से साहस मिल रहा था।
किसी तरह बचते-बचाते सभी लोग मेट्रो स्टेशन पहुंचे। तो वहां भारी भीड़ ने सबके पसीने छुड़ा दिये। हर कोई मानो ट्रेन पर चढ़ने के लिए एक दूसरे को पीछे छोड़ने में लगा था। लवीव के लिए ट्रेन कई घंटो बाद थी तो सभी छात्र वहीं बेसमेंट में दुबक गए। इस बीच बाहर बमबारी होती रही। भीड़ के बावजूद मन में भय का सन्नाटा पसरा था, जिसे बाहर हो रहे धमाकों की आवाज बार-बार तोड़ रही थी। जैसे ही लवीव जाने वाली ट्रेन आई, हम लोग उसमें सवार हो गए।
ट्रेन ने बुधवार सुबह लवीव पहुंचाया। वहां से हम बस के माध्यम से हंगरी बार्डर के लिए रवाना हुए, जहां देर रात तक पहुंचने की उम्मीद है। गजाला ने बताया कि उनके साथ बस में 20-25 भारतीय छात्रों का समूह है। सभी हंगरी बार्डर जा रहे हैं। सुरक्षा के लिए बस में भारत का झंडा लगा रखा है। गजाला ने बताया कि अब तक भारतीय दूतावास में किसी से संपर्क नहीं हो पाया है। ऐसे में हंगरी बार्डर पर वीजा मिलने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, उनका पहला लक्ष्य हंगरी बार्डर पहुंचना है। वहां जाकर देखेंगे कि आगे क्या करना है। बताया कि लवीव में उन्होंने खाने-पीने का सामान स्टाक कर लिया।