लखनऊ, संविधान दिवस के मौके पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक विशेष समारोह का आयोजन किया गया। लोक भवन सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकतंत्र और संविधान को लेकर एक बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत का संविधान केवल नागरिकों को अधिकार देने वाला ग्रंथ मात्र नहीं है बल्कि यह कर्तव्यों के निर्वहन का एक पवित्र दस्तावेज भी है। मुख्यमंत्री ने लोगों को आगाह करते हुए कहा कि जब कोई नागरिक अपने कर्तव्यों को भूलकर केवल अधिकारों की मांग करता है तो इससे देश का लोकतंत्र कमजोर होता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कर्तव्यों का पालन किए बिना अधिकारों का सुरक्षित रह पाना संभव नहीं है।
संविधान निर्माताओं के संघर्ष को किया याद
कार्यक्रम के दौरान योगी आदित्यनाथ ने संविधान निर्माण की ऐतिहासिक यात्रा और संघर्ष का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि भीमराव आंबेडकर और संविधान निर्माताओं ने 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन की कड़ी मेहनत के बाद देश को दुनिया का सबसे समावेशी संविधान सौंपा था। ऐसे में संविधान का अनादर करना सीधे तौर पर बाबा साहब और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अपमान करने जैसा है। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी ने आजादी के संघर्ष की पीड़ा को नहीं देखा है इसलिए वे स्वतंत्रता के असली मूल्य को भूल रहे हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साल 2015 में संविधान दिवस मनाने की परंपरा शुरू की ताकि देश को संवैधानिक मूल्यों से जोड़ा जा सके।
हर क्षेत्र में ईमानदारी से काम करना ही सच्ची सेवा
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री के ‘विकसित भारत 2047’ के संकल्प का जिक्र करते हुए नागरिकों से ‘पंच-प्रण’ अपनाने की अपील की। इसमें गुलामी की मानसिकता से मुक्ति, अपनी विरासत पर गर्व और नागरिक कर्तव्यों का पालन शामिल है। मुख्यमंत्री ने उदाहरण देते हुए समझाया कि संविधान का सम्मान केवल बातों से नहीं बल्कि काम से होता है। अगर एक छात्र समय से पढ़ाई करता है, शिक्षक ईमानदारी से पढ़ाते हैं, व्यापारी निष्पक्ष व्यापार करता है और सरकारी कर्मचारी समय पर फाइलों का निपटारा करते हैं तो यही संविधान की सच्ची सेवा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अपने कर्तव्य में लापरवाही बरतना राष्ट्र का अनादर है।
विकसित यूपी के लिए मिले 98 लाख सुझाव
सामाजिक सौहार्द पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जाति, भाषा और क्षेत्र के नाम पर नफरत फैलाने की कोशिशें भारत को कमजोर करती हैं जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने ‘विकसित उत्तर प्रदेश’ के रोडमैप पर बात करते हुए बताया कि सरकार को अब तक जनता की ओर से 98 लाख से अधिक सुझाव प्राप्त हुए हैं। हर पांच में से एक परिवार ने प्रदेश के विकास के लिए अपना सुझाव दिया है। सरकार अच्छे सुझाव देने वालों को सम्मानित भी करेगी।
उपमुख्यमंत्रियों ने भी रखे विचार
समारोह में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक परंपरा पूरी दुनिया में बेमिसाल है। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि जो लोग संविधान विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं या लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश करते हैं उन्हें जनता कभी माफ नहीं करेगी। वहीं उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि संविधान हमें जितने अधिकार देता है उतनी ही जिम्मेदारियां भी सौंपता है।
कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री ने सभी को संविधान की उद्देशिका (प्रस्तावना) की शपथ दिलाई। इस दौरान संविधान निर्माण पर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई और भीमराव आंबेडकर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया गया।
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