लखनऊ: सिटी मांटेसरी स्कूल में आयोजित न्यायाधीशों के एक महत्वपूर्ण सम्मेलन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साइबर सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन को वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौतियों के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि एकता और बंधुत्व के विषय पर केंद्रित यह सम्मेलन दुनिया को एकजुट करने में सफल होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि नए युग में हम भले ही सुविधाजनक जीवन जी रहे हैं, लेकिन साथ ही नई चुनौतियां भी उभर रही हैं, जिनमें साइबर अपराधों का बढ़ता ग्राफ प्रमुख है, जिसके समाधान के लिए हम सभी को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे।
शुक्रवार को सीएमएस कानपुर रोड स्थित परिसर में सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने भारत की हजारों साल पुरानी “वसुधैव कुटुंबकम” की परंपरा का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि संकट के समय में शरण देने और प्रगति में सहायक होने में भारत ने सदैव महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हमें संयुक्त राष्ट्र की उन घोषणाओं को भी याद करना चाहिए, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, जल संसाधन, रोजगार-कौशल विकास, पर्यावरण और वन संपदा की रक्षा जैसे विषयों पर आधारित हैं। इन सभी में शिक्षा का महत्व सर्वोपरि है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें कभी यह नहीं भूलना चाहिए कि विश्व की वास्तविक समस्या क्या है; जब हम इसकी गहराई में जाते हैं, तो पाते हैं कि मुख्य समस्या एक-दूसरे के बीच संवाद की कमी है।
संवाद की कमी और वैश्विक एकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्चस्व स्थापित करने की होड़ में संवाद को बाधित किया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह सम्मेलन संवाद का एक सशक्त माध्यम बनेगा। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि न्याय किस प्रकार मानवता की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत कर सकता है, इस संदेश को इस सम्मेलन के माध्यम से पूरे विश्व में फैलाने की आवश्यकता है। इस सम्मेलन में क्रोएशिया के पूर्व राष्ट्रपति स्टीफन मेसिक, भारत के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ. भारती गांधी सहित 52 देशों के मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीश शामिल हुए।
पाक, चीन और बांग्लादेश को निमंत्रण नहीं
विश्व भर में शांति और एकता का संदेश देने के उद्देश्य से आयोजित इस न्यायाधीशों के सम्मेलन में पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन को आमंत्रित नहीं किया गया। इसका कारण यह बताया गया है कि इन देशों को आमंत्रित करने के लिए भारत सरकार से इस बार भी अनुमति नहीं मिल पाई। आमंत्रित किए गए देशों में नेपाल और श्रीलंका से कोई प्रतिनिधि नहीं आया, जबकि भूटान ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। तीन दिवसीय इस विश्व न्यायाधीशों के सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के अनुच्छेद 51 पर चर्चा की जाएगी, जिसका उद्देश्य शांति और एकता को बढ़ावा देने के लिए एक वैश्विक स्तर का कानून बनाना है। गौरतलब है कि अनुच्छेद 51 अंतरराष्ट्रीय शांति, सुरक्षा और सहयोग को बढ़ावा देने से संबंधित है।
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