नई दिल्ली: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक बार फिर बढ़ती आतंकी गतिविधियों ने देश की सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरी को उजागर कर दिया है। बन्नू जिले में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादियों की मजबूत मौजूदगी और सुरक्षा बलों के साथ लगातार हो रही मुठभेड़ों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान अपनी ही धरती पर पनप रहे आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी रणनीति बनाने में विफल रहा है। हाल ही में 17 टीटीपी आतंकवादियों का मारा जाना इसी गहरे जड़ें जमा चुके आतंकी नेटवर्क का संकेत देता है।
शेरी खैल और पक्का पहाड़ खैल इलाकों में आतंकवादियों की सक्रिय मौजूदगी की पुष्टि के बाद सुरक्षा बलों ने अभियान चलाया। हालांकि, यह इस बात का प्रमाण है कि पाकिस्तानी एजेंसियां अक्सर आतंकवादियों को पहले बढ़ने देती हैं और बाद में कार्रवाई का दिखावा करती हैं। वर्षों से, टीटीपी खुले तौर पर पाकिस्तान में हथियारों और विस्फोटकों के साथ सक्रिय रहा है, जिसका खामियाजा आम नागरिकों को भुगतना पड़ता है।
पाकिस्तान की निगरानी पर गंभीर प्रश्न
आईजीपी जुल्फिकार हमीद के अनुसार, पहले अभियान में 10 आतंकवादी मारे गए और एक फैसिलिटेटर को गिरफ्तार किया गया। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि इतने बड़े आतंकी नेटवर्क की जानकारी पाकिस्तान को पहले क्यों नहीं मिली। सात शव बरामद हुए, जबकि तीन दुर्गम इलाके में रहे, यह भी पाकिस्तान की कमजोरी दर्शाता है कि आतंकवादी पहाड़ी क्षेत्रों में पूरे सिस्टम को चुनौती दे रहे हैं और सरकार वर्षों से स्थिति को नियंत्रित करने में असमर्थ है।
लंबे समय तक चली मुठभेड़ और स्थानीय लोगों की हताशा
एक अन्य अभियान, जो पूरे आठ घंटे तक चला, उसमें सात और आतंकवादी मारे गए। पाकिस्तान दावा करता है कि सुरक्षा बलों को कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन वास्तविकता यह है कि टीटीपी की बढ़ती शक्ति और लगातार जारी हमलों ने पूरे क्षेत्र में अस्थिरता फैला दी है। स्थानीय लोग भी अब पाकिस्तान सरकार की इस नाकामी से परेशान हैं और सुरक्षा एजेंसियों पर से उनका भरोसा कम होता जा रहा है।
पाकिस्तान की ढुलमुल नीति का परिणाम
मारे गए आतंकवादियों से भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक बरामद हुए। यह पाकिस्तान की उस ढुलमुल नीति का सीधा परिणाम है जिसने दशकों तक आतंकी संगठनों को पनाह दी और उनका इस्तेमाल पड़ोसी देशों के खिलाफ किया। अब वही संगठन पाकिस्तान में ही सिर उठा रहे हैं और उसके सुरक्षा तंत्र को सीधी चुनौती दे रहे हैं।
एक और बड़ी सुरक्षा विफलता उजागर
अब्शार चौक, बन्नू में 10 किलो का बम मिलने और उसे निष्क्रिय करने की घटना यह स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि पाकिस्तान आतंकवादियों के जाल को प्रभावी ढंग से खत्म नहीं कर पा रहा है। घी के डिब्बे में छिपाया गया यह बम एक बड़े हमले की साजिश का हिस्सा था, जिसे समय रहते रोक लिया गया। लेकिन इस तरह का खतरा हर बार टलना पाकिस्तान की सफलता का नहीं, बल्कि उसकी निरंतर असफलता का प्रमाण है।
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