Himachal: चंडीगढ़ हिस्सेदारी को लेकर हिमाचल के कड़े तेवर उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में उठेगा मुद्दा

शिमला। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू रविवार को फरीदाबाद पहुंच गए हैं, जहां वे 17 नवंबर को सूरजकुंड (हरियाणा) में होने वाली उत्तर क्षेत्रीय परिषद (एनआरसी) की बैठक में भाग लेंगे। इस बैठक में हिमाचल प्रदेश की ओर से कड़े तेवर देखने को मिल सकते हैं, क्योंकि राज्य सरकार चंडीगढ़ में अपनी वैधानिक हिस्सेदारी और कर्मचारी प्रतिनिधित्व के मुद्दे को मजबूती से उठाने जा रही है।

पंजाब पुनर्गठन अधिनियम-1966 के तहत चंडीगढ़ में हिमाचल प्रदेश को 7.9 प्रतिशत वैधानिक हिस्सेदारी मिलनी चाहिए, लेकिन राज्य को अब तक उसका यह हक नहीं मिला है। हिमाचल सरकार ने इस मुद्दे को कई बार केंद्र सरकार के समक्ष उठाया है, लेकिन इसका कोई संतोषजनक समाधान नहीं निकल पाया है। अब मुख्यमंत्री सुक्खू गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में इस विषय को एक बार फिर पूरी मजबूती के साथ रखने वाले हैं।

हिमाचल सरकार का स्पष्ट कहना है कि चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश होने के बावजूद पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार हिमाचल की वैधानिक हिस्सेदारी स्पष्ट रूप से निर्धारित है। इसके बावजूद, प्रशासनिक और वित्तीय हिस्सेदारी को लेकर हिमाचल को उसका अधिकार नहीं मिला है, जिससे राज्य को लगातार नुकसान हो रहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री सुक्खू बैठक में इन दोनों विषयों पर केंद्र से स्पष्ट और समयबद्ध समाधान की मांग करेंगे। प्रदेश सरकार का मानना है कि चंडीगढ़ में हिमाचल की हिस्सेदारी केवल अधिकार का प्रश्न ही नहीं है, बल्कि यह क्षेत्रीय संतुलन और संवैधानिक प्रावधानों के पालन का विषय भी है। यह मुद्दा राज्य के विकास और उसके लोगों के हितों से सीधा जुड़ा हुआ है।

एनआरसी बैठक में सीमावर्ती राज्यों से जुड़े अन्य मुद्दों पर भी चर्चा होगी, लेकिन हिमाचल प्रदेश के लिए चंडीगढ़ में हिस्सेदारी और कर्मचारी प्रतिनिधित्व दो प्रमुख प्रश्न रहने वाले हैं। ये मुद्दे लंबे समय से लंबित हैं और हिमाचल सरकार अब इनका स्थायी समाधान चाहती है।

इसके साथ ही, चंडीगढ़ प्रशासन में कर्मचारियों की हिस्सेदारी का मुद्दा भी हिमाचल सरकार उठाएगी। वर्तमान में चंडीगढ़ प्रशासन में पंजाब सरकार के 60 प्रतिशत और हरियाणा सरकार के 40 प्रतिशत कर्मचारी कार्यरत हैं, जबकि हिमाचल प्रदेश को इसमें किसी भी प्रकार की हिस्सेदारी नहीं दी गई है। हिमाचल का तर्क है कि जब अधिनियम के तहत राज्य की भागीदारी तय है, तो कर्मचारी संरचना में भी समानुपातिक प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। यह कर्मचारियों के अधिकारों और राज्य के संवैधानिक हक का मामला है।

ऐसा माना जा रहा था कि इस दौरान मुख्यमंत्री कांग्रेस के दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, रजनी पाटिल सहित अन्य नेताओं के साथ बैठक कर सकते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री दिल्ली देरी से पहुंचे थे और रविवार को चार बजे फरीदाबाद पहुंच गए। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान नेताओं के साथ बैठक नहीं हो पाई। माना जा रहा है कि सोमवार को देर शाम और मंगलवार को मुलाकात संभव हो सकती है, जिसमें राज्य के राजनीतिक और प्रशासनिक मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।

 

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