नई दिल्ली: अमेरिका के जाने-माने दक्षिणपंथी कार्यकर्ता और टिप्पणीकार चार्ली किर्क की बुधवार, 10 सितंबर 2025 को यूटा वैली यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई. 31 वर्षीय किर्क राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सहयोगी थे और 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. इस घटना से पूरे अमेरिका में सनसनी फैल गई है, और राष्ट्रपति ट्रंप ने उनकी मौत की पुष्टि करते हुए इसे “अमेरिका के लिए एक काला क्षण” बताया है. ट्रंप ने चार्ली के सम्मान में पूरे अमेरिका में सभी राष्ट्रीय झंडों को आधा झुकाने का आदेश भी दिया है.
यह दुखद घटना तब हुई जब किर्क यूटा वैली यूनिवर्सिटी के आउटडोर क्वाड में अपने ‘प्रूव मी रॉन्ग’ टेंट के नीचे बैठकर लोगों के सवालों का जवाब दे रहे थे.सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि गोली लगने के बाद किर्क के गले से खून की धार बहने लगी और मौके पर अफरा-तफरी मच गई. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, गोली चलने से ठीक पहले किर्क बंदूक हिंसा के मुद्दे पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे.एक प्रत्यक्षदर्शी रेडन डेचेन ने बताया कि गोली किसी ऊंची जगह से, शायद किसी इमारत की छत से आई थी.
किर्क को आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी.यूटा के अधिकारियों ने इस हमले को “टारगेट किलिंग” बताया है.पुलिस के अनुसार, हमलावर ने काले कपड़े पहन रखे थे और कैंपस की एक इमारत की छत से गोली चलाई, जिसके बाद वह फरार हो गया. इस मामले में अभी तक कोई संदिग्ध गिरफ्तार नहीं हुआ है. पुलिस ने शुरू में दो लोगों को हिरासत में लिया था, लेकिन पूछताछ के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया, क्योंकि उनका इस गोलीबारी से कोई सीधा संबंध नहीं पाया गया.]
चार्ली किर्क ‘टर्निंग पॉइंट यूएसए’ के संस्थापक और सीईओ थे, जिसका मकसद कॉलेज कैंपसों में कम टैक्स और सीमित सरकार की विचारधारा को बढ़ावा देना था.[वह ट्रंप के 2016 और 2024 के चुनाव अभियान में सक्रिय थे, और उनके रेडियो शो को हर महीने लाखों लोग सुनते थे.उनकी हत्या पर ट्रंप के साथ-साथ पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन, उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और बराक ओबामा ने भी दुख व्यक्त किया है. एफबीआई भी इस मामले की जांच में सहयोग कर रही है.
गौरतलब है कि किर्क के इस कार्यक्रम का पहले से ही कुछ छात्रों द्वारा विरोध किया जा रहा था, जिन्होंने ऑनलाइन याचिका दायर कर उनकी कैंपस एंट्री पर रोक लगाने की मांग की थी. हालांकि, यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए कार्यक्रम को रद्द करने से इनकार कर दिया था. इस घटना ने न सिर्फ यूटा, बल्कि पूरे अमेरिका में राजनीतिक हिंसा के खतरे की ओर ध्यान आकर्षित किया है.
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