नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत सहित कई देशों पर लगाए गए भारी टैरिफ को अब यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की का समर्थन मिल गया है। ज़ेलेंस्की का कहना है कि टैरिफ लगाकर ट्रंप ने बिल्कुल सही कदम उठाया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कई यूरोपीय देश आज भी रूस से तेल और गैस खरीद रहे हैं, जो पूरी तरह से गलत है, और रूस के साथ व्यापार पूरी तरह से खत्म कर देना चाहिए।
ट्रंप के टैरिफ पर ज़ेलेंस्की का रुख
एबीसी न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में जब ज़ेलेंस्की से पूछा गया कि हाल ही में मोदी, पुतिन और चिनफिंग को एससीओ समिट में एक साथ देखा गया था, और इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि “हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है।” ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर भारी टैरिफ भी लगाए हैं। इसके जवाब में ज़ेलेंस्की ने स्पष्ट रूप से कहा, “मुझे लगता है कि जो देश रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं, उन पर टैरिफ लगाना एक बहुत अच्छा विचार है।”
ज़ेलेंस्की के अनुसार, अलास्का में तीन हफ्ते पहले ट्रंप और पुतिन की मुलाकात हुई थी, लेकिन इसके बाद भी कुछ नहीं बदला है। रूस लगातार यूक्रेन पर हमले कर रहा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि रूस के साथ व्यापार जारी रखने से उसकी आक्रामकता पर कोई अंकुश नहीं लग रहा है।
यूरोपीय देशों को दिखाया आईना
ज़ेलेंस्की ने रूस से तेल और गैस खरीदने को लेकर यूरोपीय देशों की भी कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा, “हमें लगता है कि पुतिन पर और अधिक दबाव डालने की जरूरत है। यह दबाव अमेरिका को डालना चाहिए।” उन्होंने अपने सभी यूरोपीय सहयोगियों का आभार व्यक्त किया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि “उनमें से कुछ देश आज भी रूस से तेल और गैस खरीद रहे हैं। यह कहीं से भी सही नहीं है, हमें रूस से हर तरह की खरीदारी बंद करनी होगी।”
ज़ेलेंस्की ने इस बात पर जोर दिया कि पुतिन को रोकने के लिए रूस के साथ सभी प्रकार की डीलों को बंद करना आवश्यक है, और उनका मानना है कि यह काम केवल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ही कर सकते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ट्रंप इसमें सफल होंगे।
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर प्रभाव
ज़ेलेंस्की का यह बयान अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एक नई परत जोड़ता है। एक ओर जहां अमेरिका रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों और टैरिफ की नीति अपना रहा है, वहीं कई देश अपनी ऊर्जा जरूरतों और आर्थिक हितों के चलते रूस के साथ व्यापार जारी रखे हुए हैं। ज़ेलेंस्की का ट्रंप के टैरिफ का समर्थन करना और यूरोपीय देशों की आलोचना करना, यह दर्शाता है कि यूक्रेन, रूस पर दबाव बढ़ाने के लिए किसी भी संभावित रास्ते का समर्थन करेगा।
यह स्थिति भारत के लिए भी एक चुनौती पैदा करती है, क्योंकि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए रूस से तेल आयात करता रहा है। ट्रंप के टैरिफ और ज़ेलेंस्की के समर्थन से भारत पर रूस से व्यापार कम करने का दबाव बढ़ सकता है, जिससे उसकी विदेश नीति और आर्थिक हितों को संतुलन में रखना और भी जटिल हो जाएगा। कुल मिलाकर, यह घटनाक्रम रूस-यूक्रेन संघर्ष के वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक प्रभावों को और अधिक उजागर करता है।
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