नैनीताल। श्रीराम सेवक सभा की ओर से आयोजित नंदा देवी महोत्सव के अंतर्गत शुक्रवार को मां नंदा सुनंदा की विदाई के लिए सरोवर नगरी नैनीताल में आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा। इस दौरान मां के जयकारों से पूरा शहर गूंज उठा और इन पवित्र पलों के साक्षी बनने के लिए भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। मां के डोले में कंधा लगाने और फूल अक्षत चढ़ाने के लिए भक्तों में होड़ मची रही। शाम को डोले के नगर भ्रमण के बाद झील में कदली (केले के तने) से बनी मूर्तियों को विधि विधान के साथ विसर्जित किया जाएगा।
शुक्रवार सुबह मां नयना देवी के मंडप पर विराजमान उत्तराखंड की कुलदेवी और हिमालय पुत्री मां नंदा सुनंदा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। भक्तों ने पूजा अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की। मंदिर के आचार्य चंद्रशेखर तिवारी सहित अन्य पुरोहितों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विशेष पूजा संपन्न कराई।
आयोजक संस्था के पदाधिकारियों ने विधि विधान के साथ मंडप से मां का डोला मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों को सौंपा। इसके बाद कुल पूजा कर डोले को नगर भ्रमण के लिए विदा किया गया। जैसे ही डोला मां नयना देवी मंदिर के मुख्य द्वार से बाहर लाया गया, हजारों भक्तों ने मां के जयकारे लगाकर अपनी आस्था प्रकट की। ‘यो पहाड़’ संस्था के युवाओं ने डोले में पुष्प वर्षा की।
डोला भ्रमण में बैंड जहां माता की स्तुति आधारित गीतों की प्रस्तुति देते हुए आगे चल रहे थे, वहीं छलिया कलाकारों ने ढोल नगाड़े और मशकबीन की धुन पर नृत्य कर कुमाऊंनी संस्कृति की छटा बिखेरी। इसके अलावा, पिथौरागढ़ का लखिया भूत इस बार आकर्षण का केंद्र रहा।
डोले के पीछे महिलाओं ने झोड़े गायन किया। नगरपालिका की ओर से पहली बार डोले के साथ वाहन में प्रसाद वितरण किया गया। इस दौरान मंडलायुक्त दीपक रावत, एसपी जगदीश चंद्र, एसडीएम केएन गोस्वामी सहित तमाम जनप्रतिनिधि और हजारों लोग शामिल रहे। यह महोत्सव नैनीताल की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को दर्शाता है, जिसमें हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।
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