शिमला। शिमला में लगातार हो रही भारी बारिश का असर सेब सीजन पर भी पड़ रहा है। सेब के पीक सीजन (उच्चतम अवधि) में भी मंडियों में केवल 20 प्रतिशत सेब ही पहुंच पा रहा है। वीरवार को पराला और भट्ठाकुफर फल मंडियों में कुल 15 हजार पेटी सेब पहुंचा। सामान्य परिस्थितियों और मौसम साफ होने पर, दोनों मंडियों में औसतन एक दिन में 70 हजार पेटी सेब पहुंचती हैं, जिसमें पराला मंडी में 50 से 60 हजार पेटी और भट्ठाकुफर फल मंडी में 15 से 20 हजार पेटी सेब की आवक होती है।
लगातार हो रही वर्षा के कारण बागबान सेब का तुड़ान (तोड़ाई) नहीं कर पा रहे हैं। इस वजह से मंडियों में सेब की आवक काफी कम हो गई है। अब बागबानों को अपनी फसल के बगीचे में ही खराब होने की चिंता सताने लगी है। भारी बारिश और खराब मौसम के कारण बहुत सारा सेब पेड़ों से झड़ भी गया है, जिससे किसानों को दोहरा नुकसान हो रहा है।
इसके अलावा, जिन बागबानों ने सेब तोड़ लिया है, वे भी बंद सड़कों और भूस्खलन के कारण मंडियों तक अपना उत्पाद नहीं पहुंचा पा रहे हैं। सड़कों के अवरुद्ध होने से आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो गई है, जिससे किसानों को अपनी उपज बेचने में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति न केवल किसानों के लिए आर्थिक संकट पैदा कर रही है, बल्कि बाजार में सेब की उपलब्धता और कीमतों पर भी असर डाल रही है। बागबान जल्द से जल्द मौसम साफ होने और सड़कों के खुलने की उम्मीद कर रहे हैं ताकि वे अपनी शेष फसल को बाजार तक पहुंचा सकें।
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