लखनऊ। उत्तर प्रदेश में छोटे बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा को और अधिक आकर्षक और रचनात्मक बनाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। अब को-लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्रों और बालवाटिकाओं में पढ़ने वाले प्रत्येक बच्चे को हर महीने स्टेशनरी उपलब्ध कराई जाएगी। इस कदम से बच्चों की पढ़ाई में पेंसिल, क्रेयान, वाटर कलर, चार्ट, फ्लैश कार्ड और कार्यपत्रक (वर्कशीट) जैसी चीजें शामिल होंगी, जिससे वे खेल-खेल में सीख सकेंगे।
यह पहल ‘समग्र शिक्षा अभियान’ के तहत केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद की गई है। राज्य सरकार ने इस परियोजना के लिए 2653.70 लाख रुपये की पहली किस्त जारी कर दी है। कुल 10 महीने की अवधि के लिए इस पर 5307 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। प्रत्येक केंद्र को प्रतिमाह 1000 रुपये स्टेशनरी खरीदने के लिए दिए जाएंगे, जिससे बच्चों के लिए आवश्यक सामग्री की कमी न हो।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इस स्टेशनरी का उपयोग बच्चों की गतिविधियों और कला-कौशल आधारित पढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए किया जाए। बच्चों को यह भी सिखाया जाएगा कि वे हर दिन इस्तेमाल की गई सामग्री को सुरक्षित रखें, ताकि उसे अगले दिन फिर से उपयोग किया जा सके। यह जिम्मेदारी और संसाधनों के सही उपयोग का भी पाठ पढ़ाएगा।
स्टेशनरी खरीदने की जिम्मेदारी विद्यालय प्रबंध समिति (School Management Committee) को सौंपी गई है। इस समिति में प्रधानाध्यापक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सुपरवाइजर और प्री-प्राइमरी नोडल शिक्षक जैसे महत्वपूर्ण सदस्य शामिल होंगे, ताकि पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। वहीं, जिला स्तर पर प्रगति की निगरानी और रिपोर्टिंग के लिए डायट (District Institute of Education and Training) प्राचार्य मासिक समीक्षा बैठकें करेंगे।
यह कदम बच्चों की रचनात्मकता को निखारने और उनकी शुरुआती पढ़ाई की नींव को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा बदलाव साबित होगा। अब बच्चों की शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि रंगों, चित्रों और इंटरैक्टिव सामग्री के साथ और भी रोचक और प्रभावी बनेगी। सरकार का यह प्रयास निश्चित रूप से प्रदेश में बाल शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने में सहायक होगा।
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