Himachal: प्राकृतिक खेती से संवर रही हिमाचल के किसानों की तकदीर, सरकार दे रही लाभकारी मूल्य

शिमला:

हिमाचल प्रदेश सरकार ग्रामीण आबादी की आजीविका में सुधार लाने और उनकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है। इसी कड़ी में, राज्य सरकार द्वारा गेहूं, मक्का और दूध आदि पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाए जाने जैसे लाभों के कारण किसान बड़े पैमाने पर प्राकृतिक खेती अपना रहे हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो रही है।

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि सरकार की इन पहलों के ठोस परिणाम सामने आ रहे हैं। इस वर्ष, 838 किसानों से 60 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 2123 क्विंटल प्राकृतिक गेहूं की खरीद की गई और 1.27 करोड़ रुपये डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण) के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों में भेजे गए। इसके अलावा, गेहूं के परिवहन पर 4.15 लाख रुपये की ढुलाई सब्सिडी भी प्रदान की गई। यही नहीं, राज्य सरकार ने छह जिलों के किसानों से 90 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 127 मीट्रिक टन प्राकृतिक कच्ची हल्दी भी खरीदी, जिसके लिए 1.14 करोड़ रुपये किसानों को हस्तांतरित किए गए।

प्रवक्ता ने बताया कि पिछले सीजन के दौरान कृषि विभाग ने दस जिलों के 1509 किसानों से 399 मीट्रिक टन प्राकृतिक मक्का खरीदा था और 1.40 करोड़ रुपये उनके खातों में हस्तांतरित किए थे, जिससे उन्हें बेहतर कीमतें सुनिश्चित हुईं।

सरकार ने चंबा जिले के पांगी मंडल को राज्य का ‘प्राकृतिक खेती मंडल’ घोषित किया है और सितंबर के अंतिम सप्ताह से पांगी क्षेत्र के किसानों से 60 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 40 मीट्रिक टन प्राकृतिक जौ की खरीद करेगी।

किसानों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए सरकार ‘हिम-भोग’ ब्रांड के तहत प्राकृतिक रूप से उगाए गए फसलों के उत्पादों को बाजारों में बेच रही है, जो दिन-प्रतिदिन लोकप्रिय हो रहा है और उपभोक्ता रासायनिक मुक्त उत्पाद खरीदने के लिए आगे आ रहे हैं।

प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने हेतु राज्य सरकार उन्हें प्रशिक्षण भी प्रदान कर रही है, ताकि वे अपने खेतों में ऐसी फसलें उगा सकें। अब तक राज्य में 3.06 लाख किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। राज्य की 3584 ग्राम पंचायतों की 38,437 हेक्टेयर भूमि को प्राकृतिक खेती के तहत लाया गया है और 2,22,893 से अधिक किसान विभिन्न फसलें उगा रहे हैं।

राज्य सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान इस पहल को अपनाने के लिए एक लाख और किसानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है। अब तक 88 विकास खंडों के 59,068 किसानों और बागवानों ने अपना पंजीकरण फॉर्म भर दिया है।

सरकार द्वारा प्राकृतिक रूप से उगाए गए गेहूं, मक्का, कच्ची हल्दी और जौ को क्रमशः 60 रुपये, 40 रुपये, 90 रुपये और 60 रुपये प्रति किलोग्राम के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जा रहा है। इससे न केवल उपभोक्ताओं को रासायनिक मुक्त उत्पाद मिल रहे हैं, बल्कि किसानों को भी उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिल रहा है।

 

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