नई दिल्ली: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक चौंकाने वाला ऐलान करते हुए पाकिस्तान के साथ एक बड़े व्यापारिक समझौते की घोषणा की है। अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर उन्होंने कहा कि अमेरिका और पाकिस्तान मिलकर ‘विशाल तेल भंडार’ विकसित करेंगे। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब ट्रंप भारत पर ऊंचे टैरिफ लगाने और सख्त व्यापारिक नीतियां अपनाने की बात कर रहे हैं, जिससे उनकी दक्षिण एशिया नीति में एक विरोधाभास दिखाई दे रहा है।
ट्रंप ने अपने पोस्ट में लिखा, “हमने पाकिस्तान के साथ एक करार किया है। इसके तहत पाकिस्तान और अमेरिका मिलकर उनके विशाल तेल भंडारों को विकसित करेंगे।” उन्होंने यह भी बताया कि इस विशाल परियोजना का नेतृत्व कौन सी तेल कंपनी करेगी, इस पर अभी निर्णय लिया जा रहा है। हालांकि, ट्रंप ने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह किन तेल भंडारों की बात कर रहे हैं। गौरतलब है कि पाकिस्तान अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए फिलहाल मध्य पूर्व से तेल आयात करता है, लेकिन ऐसी खबरें हैं कि उसके समुद्री क्षेत्र में विशाल तेल भंडार मौजूद हैं, जिन्हें तकनीकी और वित्तीय कमी के कारण अब तक विकसित नहीं किया जा सका है। ट्रंप ने मज़ाकिया अंदाज़ में यह भी कहा, “कौन जानता है, शायद एक दिन पाकिस्तान भारत को तेल बेचे।”
ट्रंप का यह पाकिस्तान-समर्थक रुख भारत के प्रति उनके हालिया कड़े रवैये के ठीक विपरीत है। कुछ ही समय पहले उन्होंने घोषणा की थी कि अगर वह सत्ता में लौटे तो भारत से आने वाले सभी उत्पादों पर 25% का भारी टैरिफ लगाएंगे। उन्होंने रूस से सैन्य उपकरण और ऊर्जा खरीदने को लेकर भारत पर अतिरिक्त जुर्माना लगाने की भी बात कही थी। ट्रंप ने भारत की व्यापार नीतियों को “सबसे सख्त और आपत्तिजनक” बताते हुए कहा था, “हम भारत से अभी बात कर रहे हैं। भारत का टैरिफ दुनिया में सबसे ज्यादा है।”
इस पूरे मामले पर पाकिस्तान की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं, भारत ने ट्रंप के टैरिफ वाले बयान पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। भारत की ओर से कहा गया कि वह इस बयान पर गौर कर रहा है और पिछले कुछ महीनों से अमेरिका के साथ एक निष्पक्ष, संतुलित और दोनों के लिए फायदेमंद व्यापारिक करार के लिए बातचीत कर रहा है।
ट्रंप का यह दोहरा रुख भू-राजनीतिक विश्लेषकों के लिए चर्चा का विषय बन गया है। एक तरफ वह भारत को एक मित्र देश बताते हैं, लेकिन व्यापारिक मोर्चे पर कोई भी राहत देने से इनकार करते हैं। वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान के साथ इतने बड़े ऊर्जा समझौते की घोषणा करके उन्होंने दक्षिण एशिया में अपनी प्राथमिकताओं को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।
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