देहरादून। उत्तराखंड में भारी बारिश ने एक बार फिर जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक हो रही मूसलाधार वर्षा के कारण पवित्र चारधाम यात्रा पर गंभीर असर पड़ा है। केदारनाथ यात्रा को रोकना पड़ा है, जबकि यमुनोत्री मार्ग धंसने से बंद हो गया है। वहीं, श्रीनगर गढ़वाल जैसे शहरी इलाकों में लोगों के घरों में पानी घुसने से हाहाकार मचा हुआ है। मौसम विभाग ने भी देहरादून, चम्पावत और नैनीताल सहित कई जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी करते हुए सतर्क रहने की चेतावनी दी है।
चारधाम यात्रा पर संकट, मार्ग बाधित
मानसून की इस मार का सबसे बड़ा असर चारधाम यात्रा पर पड़ा है। केदारनाथ धाम में गौरीकुंड से आगे लगातार हो रही मूसलधार बारिश के चलते पैदल मार्ग बाधित हो गया है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए प्रशासन ने एहतियात के तौर पर यात्रा को अगले आदेश तक रोक दिया है।
वहीं, यमुनोत्री धाम को जोड़ने वाला प्रमुख मार्ग भी खतरे की जद में आ गया है। फूलचट्टी-जानकीचट्टी सड़क, फूलचट्टी के पास धंसने के कारण वाहनों की आवाजाही के लिए पूरी तरह बंद हो गई है। इस वजह से मार्ग के दोनों ओर दर्जनों वाहन फंस गए हैं, जिनमें स्थानीय लोगों के साथ-साथ बड़ी संख्या में तीर्थयात्री भी शामिल हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस सड़क की खराब हालत के बारे में पहले ही चेताया गया था, लेकिन प्रशासन की अनदेखी के कारण अब यह और धंस गई है। जानकीचट्टी चौकी प्रभारी गंभीर सिंह तोमर ने बताया कि बस और टैंपो ट्रैवलर जैसे बड़े वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद कर दी गई है, जबकि छोटे वाहनों का गुजरना भी बेहद जोखिम भरा हो गया है।
श्रीनगर में घरों में घुसा बारिश का पानी
बारिश का कहर सिर्फ यात्रा मार्गों तक ही सीमित नहीं है। श्रीनगर गढ़वाल के शहरी इलाकों में भी इसने भारी तबाही मचाई है। नगर निगम के वार्ड 29, भक्तियाना में एनआईटी के पास शुक्रवार देर रात हुई तेज बारिश कई परिवारों के लिए आफत बनकर आई। एक स्थानीय निवासी भास्कर रतूड़ी ने बताया कि शनिवार सुबह जब उनकी पत्नी सोकर उठीं, तो उन्होंने कमरे में पानी भरा पाया। लोगों का आरोप है कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर बनी नाली के चोक होने के कारण बारिश का सारा पानी उनके घरों में घुस गया, जिससे घरेलू सामान को भारी नुकसान पहुंचा है।
प्रदेश भर में इस तरह की घटनाओं से प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमें अलर्ट पर हैं। मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक राहत मिलने की उम्मीद कम है, जिससे यह स्थिति प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है, जिसे यात्रा मार्गों को सुचारू रखने के साथ-साथ स्थानीय निवासियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी है।
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