Uttarakhand: केदारनाथ में खच्चर चलाकर IIT मद्रास पहुंचा अतुल, सीएम धामी ने फोन पर दी बधाई, बोले- ‘तुमने हमें गौरवान्वित किया’

उप-हेडिंग: मुख्यमंत्री ने हर संभव मदद का दिया आश्वासन, कहा- संकल्प हो तो कोई भी सपना असंभव नहीं

देहरादून/रुद्रप्रयाग।

कठिन परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के बावजूद अगर मन में दृढ़ संकल्प हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। इस बात को सच कर दिखाया है उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के एक छोटे से गांव के होनहार युवक अतुल ने। केदारनाथ यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चर चलाकर अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने वाले अतुल ने अपनी मेहनत और लगन के बल पर देश के प्रतिष्ठित संस्थान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास में दाखिला पा लिया है।

अतुल की इस प्रेरणादायक सफलता की खबर जैसे ही मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी तक पहुंची, उन्होंने बुधवार को स्वयं अतुल को फोन कर बधाई और शुभकामनाएं दीं।

“तुमने प्रत्येक उत्तराखंडी को प्रेरित किया है” – सीएम धामी

मुख्यमंत्री ने अतुल से बात करते हुए उनकी लगन और संघर्ष की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा, “अतुल, तुमने अपनी मेहनत से न केवल अपना, बल्कि अपने परिवार और पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है। तुमने अन्य युवाओं को भी प्रेरित किया है।”

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि सामान्य परिस्थितियों में भी यदि व्यक्ति संकल्प लेकर कोई काम करता है, तो उसके सपने जरूर पूरे होते हैं। जीवन में कोई भी चीज असंभव नहीं है। उन्होंने कहा, “तुमने प्रत्येक उत्तराखंडी को गौरवान्वित और प्रेरित किया है। तुम्हारी यह सफलता बताती है कि देवभूमि की युवा शक्ति किसी से कम नहीं है।”

इस बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने अतुल को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए उन्हें सरकार की ओर से हर संभव मदद का आश्वासन भी दिया।

संघर्षों से भरी रही अतुल की राह

गौरतलब है कि रुद्रप्रयाग जिले के रहने वाले अतुल का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत न होने के कारण, उन्होंने अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए केदारनाथ यात्रा सीजन में घोड़े-खच्चरों का संचालन किया। यात्रा की कठिन चढ़ाई पर श्रद्धालुओं को ले जाने के साथ-साथ वह अपने सपनों की उड़ान के लिए भी मेहनत करते रहे। दिन में मेहनत-मजदूरी करने के बाद वह रात में अपनी पढ़ाई करते थे। उनकी इसी अथक मेहनत और संघर्ष का परिणाम है कि आज उनका चयन देश के सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरिंग संस्थानों में से एक, आईआईटी मद्रास के लिए हुआ है। अतुल की यह कहानी उन हजारों युवाओं के लिए एक मिसाल है, जो मुश्किलों के आगे घुटने टेक देते हैं।

 

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