Uttarpradesh: मानसून सत्र से पहले मायावती की सरकार-विपक्ष को नसीहत, कहा- हंगामे की बजाय जनहित के मुद्दों पर हो सार्थक चर्चा

लखनऊ। संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से ठीक पहले, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने सरकार और विपक्ष, दोनों को देशहित में मिलकर काम करने की सलाह दी है। अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर जारी एक बयान में उन्होंने अपील की है कि संसद का कीमती समय हंगामे और आरोप-प्रत्यारोप में बर्बाद करने के बजाय महंगाई, बेरोजगारी और सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर सार्थक चर्चा और ठोस नीतियां बनाने में लगाया जाए, ताकि निराश हो रही जनता को कुछ राहत मिल सके।

मायावती ने अपने बयान में सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों से पार्टी हितों से ऊपर उठकर देशहित और जनहित के लिए एकजुट होने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “संसद का यह सत्र महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा, आंतरिक और सीमा सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर ठोस नीतियां बनाने का एक महत्वपूर्ण अवसर होना चाहिए।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश और उसकी सीमाओं की सुरक्षा सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है, लेकिन इस संवेदनशील मामले में विपक्ष को भी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सरकार का सहयोग करना चाहिए।

बसपा प्रमुख ने इस बात पर गहरी चिंता जताई कि कहीं पिछले सत्रों की तरह यह सत्र भी हंगामे और टकराव की भेंट न चढ़ जाए। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा होता है, तो जनता के ‘अच्छे दिन’ की उम्मीदें और धूमिल हो सकती हैं। उन्होंने कहा, “देश की जनता महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, क्षेत्रीय और भाषाई विवादों, हिंसक टकराव और अपर्याप्त सुविधाओं से बुरी तरह जूझ रही है। इन समस्याओं के समाधान के लिए संसद में सार्थक बहस के आधार पर दीर्घकालिक नीतियां बनाना अत्यंत आवश्यक है।”

मायावती ने हाल की घटनाओं का जिक्र करते हुए पहलगाम नरसंहार और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर भी संसद में चर्चा की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार को इन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर सकारात्मक रुख अपनाना चाहिए और विपक्ष को विश्वास में लेना चाहिए।

वैश्विक स्तर पर बदलते राजनीतिक और आर्थिक हालात का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और देश की संप्रभुता के सामने नई चुनौतियां उभर रही हैं। इन चुनौतियों का सफलतापूर्वक मुकाबला करने के लिए सरकार और विपक्ष को आपसी मतभेद भुलाकर एकजुटता दिखानी होगी।

अंत में, उन्होंने उम्मीद जताई कि यह सत्र जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेगा और संसद सुचारू रूप से चलकर देश के विकास और लोगों की तरक्की के लिए ठोस कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि एक क्रियाशील संसद में ही “देश के सर्वसमाज एवं बहुजनों का हित निहित है।” मायावती का यह बयान सत्र शुरू होने से पहले एक रचनात्मक और जन-केंद्रित एजेंडा तय करने की एक महत्वपूर्ण अपील के रूप में देखा जा रहा है।

 

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