वाशिंगटन डीसी। सीरिया के दक्षिणी स्वैदा प्रांत में द्रुज अल्पसंख्यक समुदाय और सीरियाई सरकारी बलों के बीच हफ्तों से चल रही हिंसक झड़पों के बाद इज़राइल और सीरिया एक संघर्ष विराम पर सहमत हो गए हैं। इस समझौते की घोषणा सीरिया में अमेरिकी दूत टॉम बैरक ने की। यह संघर्ष विराम इज़राइल द्वारा सीरिया पर किए गए विनाशकारी हवाई हमलों के बाद हुआ है, जो उसने द्रुज समुदाय की रक्षा के लिए किए थे।
अमेरिकी दूत टॉम बैरक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि स्वैदा से सीरियाई बलों की वापसी के बाद इज़राइल संघर्ष विराम के लिए तैयार हो गया है। उन्होंने बताया कि इस नए युद्ध विराम का तुर्किये, जॉर्डन और अन्य पड़ोसी देशों ने भी समर्थन किया है। साथ ही, द्रुज समुदाय से हथियार डालने और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ मिलकर एक नई, शांतिपूर्ण और एकजुट सीरियाई पहचान बनाने का आह्वान किया गया है। इज़राइल ने अपने रुख को स्पष्ट करते हुए कहा है कि वह द्रुज समुदाय की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, जिसे वह अपने देश में एक बड़ा और वफादार अल्पसंख्यक समुदाय मानता है।
कैसे शुरू हुआ था यह खूनी संघर्ष?
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब एक द्रुज सब्जी विक्रेता को बेदुइन कबायलियों ने अपहरण कर लूट लिया। इस घटना के बाद दोनों पक्षों में बदले की भावना भड़क उठी और अपहरण तथा जवाबी हमलों का एक सिलसिला शुरू हो गया। जल्द ही यह हिंसा और बढ़ गई जब सीरियाई सरकार के लड़ाके भी इसमें शामिल हो गए और उन्होंने द्रुज लोगों की हत्याएं शुरू कर दीं।
इस घटनाक्रम के बाद, अपने देश में द्रुज समुदाय के प्रति निष्ठा को देखते हुए इज़राइल ने सैन्य हस्तक्षेप किया। 15 जुलाई को, इज़राइली वायु सेना ने पहली बार सीरिया के स्वैदा प्रांत में हमले किए, जिससे कट्टरपंथी लड़ाकों को पीछे हटना पड़ा। इसके अगले ही दिन, 16 जुलाई को, इज़राइल ने हमले और तेज कर दिए और सीरिया की राजधानी दमिश्क में स्थित सैन्य मुख्यालय और रक्षा मंत्रालय पर बम बरसाए।
संघर्ष का मानवीय प्रभाव और मौजूदा हालात
भले ही संघर्ष विराम हो गया हो, लेकिन इस लड़ाई ने स्वैदा में एक गंभीर मानवीय संकट पैदा कर दिया है। ब्रिटेन स्थित ‘सीरियन ऑब्ज़र्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स’ के अनुसार, रविवार से शुरू हुई झड़पों में 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें सीरियाई बलों द्वारा मारे गए 27 द्रुज नागरिक भी शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र की प्रवासन एजेंसी ने बताया है कि लगभग 80,000 लोग अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं। स्वैदा में पानी और बिजली जैसी आवश्यक सेवाएं पूरी तरह ध्वस्त हो गई हैं और स्वास्थ्य सुविधाएं गंभीर दबाव में हैं। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वयक एडम अब्देलमौला के अनुसार, असुरक्षा और सड़क बंद होने के कारण सहायता सामग्री जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रही है। उन्होंने कहा कि हालात सुधरते ही प्रभावित क्षेत्रों में मदद पहुंचाने के लिए एक मिशन भेजा जाएगा। फिलहाल, संघर्ष विराम के बाद इलाके में शांति तो है, लेकिन तबाही के निशान और हजारों लोगों का दर्द बाकी है।
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