नई दिल्ली। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया, जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी को स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के योगदान को नजरअंदाज करने और उनके खिलाफ टिप्पणी करने से रोकने की मांग की गई थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह किसी को कुछ पढ़ने या अपनी ‘कथित अज्ञानता’ दूर करने का निर्देश नहीं दे सकता।
क्या था पूरा मामला?
यह याचिका अभिनव भारत कांग्रेस के सह-संस्थापक पंकज फडणीस ने दायर की थी। उन्होंने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि राहुल गांधी ने लंदन में दिए एक भाषण में सावरकर को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया था। फडणीस के अनुसार, राहुल गांधी ने कथित तौर पर कहा था, “सावरकर मुसलमानों को गद्दार मानते थे।” याचिकाकर्ता का तर्क था कि विपक्ष के नेता (LOP) के रूप में राहुल गांधी का यह बयान उनके संवैधानिक कर्तव्यों का उल्लंघन है और यह युवा पीढ़ी को भ्रमित कर रहा है।
फडणीस ने कोर्ट से मांग की थी कि वह राहुल गांधी को सावरकर के योगदान को समझने और भविष्य में ऐसी टिप्पणियों से बचने का निर्देश दे।
हाईकोर्ट ने क्यों खारिज की याचिका?
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की खंडपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कई अहम बातें कहीं।
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सुप्रीम कोर्ट का पुराना फैसला: हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता पंकज फडणीस द्वारा दायर की गई ऐसी ही एक याचिका को सुप्रीम कोर्ट पहले ही 27 मई को खारिज कर चुका है। इसलिए, उसी मामले पर दोबारा सुनवाई का कोई आधार नहीं बनता।
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निर्देश देने का अधिकार नहीं: कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा, “यह कोर्ट राहुल गांधी को याचिका का अध्ययन करने या सावरकर के योगदान के बारे में उनकी कथित अज्ञानता दूर करने का निर्देश नहीं दे सकता।”
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पहले से लंबित है मामला: कोर्ट ने यह भी बताया कि सावरकर के परपोते सत्याकी सावरकर ने राहुल गांधी के खिलाफ पुणे की एक विशेष सांसद/विधायक अदालत में पहले से ही एक आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया हुआ है, जो अभी लंबित है। कोर्ट ने फडणीस को अपनी शिकायत उठाने के लिए उचित मंच पर जाने की छूट दी।
याचिकाकर्ता और कोर्ट के बीच बहस
सुनवाई के दौरान, खुद अपनी पैरवी कर रहे फडणीस ने दलील दी, “हमारे लोकतंत्र में विपक्ष का नेता (LOP) कल को प्रधानमंत्री बन सकता है। ऐसे में राहुल गांधी को अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। वे युवा दिमागों को भ्रमित कर रहे हैं।”
इस पर कोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी की, “हमें नहीं पता कि वे प्रधानमंत्री बनेंगे या नहीं। यह आप जानते हैं।”
हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है, लेकिन यह उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल में एक अन्य मामले में सावरकर पर राहुल गांधी की टिप्पणियों पर नाराजगी जताई थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि यदि भविष्य में ऐसी टिप्पणियां की गईं, तो उन पर “स्वतः संज्ञान” (Suo Motu) लिया जा सकता है।