देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड में सनातन धर्म की पवित्रता और जन-आस्था की रक्षा के लिए राज्य सरकार ने एक बड़ा और कड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को ‘ऑपरेशन कालनेमि’ शुरू करने के सख्त निर्देश दिए हैं। इस विशेष अभियान का उद्देश्य उन छद्म वेशधारियों के खिलाफ कार्रवाई करना है जो साधु-संतों का भेष धारण कर लोगों को ठग रहे हैं और उनकी धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
यह निर्णय प्रदेश में सामने आई उन कई घटनाओं के बाद लिया गया है, जहां असामाजिक तत्वों द्वारा साधु-संतों का बाना पहनकर लोगों, विशेषकर महिलाओं को ठगने, धोखा देने और अन्य आपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाए जाने की शिकायतें मिली हैं। सरकार का मानना है कि इस तरह की हरकतों से न केवल लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द के लिए भी खतरा है और सनातन परंपरा की महान और पवित्र छवि को भी नुकसान पहुंचाता है।
क्यों पड़ा ‘ऑपरेशन कालनेमि’ नाम?
इस अभियान का नाम ‘कालनेमि’ रखने के पीछे एक गहरा पौराणिक संदर्भ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, असुर कालनेमि ने साधु का वेश धारण कर भगवान हनुमान को उस समय भ्रमित करने का प्रयास किया था जब वह संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे। इसी तर्ज पर, सरकार का मानना है कि आज समाज में कई ऐसे ‘कालनेमि’ सक्रिय हैं जो धार्मिक वेशभूषा की पवित्रता का दुरुपयोग कर अपराधों को अंजाम दे रहे हैं और समाज को भ्रमित कर रहे हैं।
सरकार का कड़ा रुख
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि यह अभियान पूरी सख्ती के साथ चलाया जाएगा और इसमें किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार जनभावनाओं, सनातन संस्कृति की गरिमा की रक्षा और सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। आस्था के नाम पर पाखंड फैलाने वालों और अपराध करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।” सरकार ने यह भी साफ किया है कि यदि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय का हो, इस तरह के कृत्य में लिप्त पाया जाता है, तो उसके खिलाफ बिना किसी भेदभाव के कठोर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
कैसे काम करेगा ऑपरेशन?
इस ऑपरेशन के तहत, पुलिस और खुफिया एजेंसियों को ऐसे संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। धार्मिक स्थलों, बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर विशेष निगरानी रखी जाएगी। संदिग्ध व्यक्तियों की पृष्ठभूमि की जांच की जाएगी और दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा। यह अभियान उत्तराखंड की ‘देवभूमि’ की पहचान को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने का एक प्रयास है कि आस्था का बाजारीकरण और अपराधीकरण न हो। सरकार का यह कदम उन लाखों श्रद्धालुओं की भावनाओं की रक्षा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जो सच्ची श्रद्धा के साथ संतों और महात्माओं का सम्मान करते हैं।
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