नई दिल्ली।
अमेरिका ने अपने व्यापारिक साझेदार देशों के सामने एक बड़ी चुनौती पेश करते हुए उन्हें एक सख्त चेतावनी जारी की है। अमेरिकी प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि विभिन्न देश 9 जुलाई तक नए व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करते हैं, तो 1 अगस्त से उन पर भारी दंडात्मक टैरिफ (आयात शुल्क) लगा दिए जाएंगे। इस फैसले ने वैश्विक व्यापार जगत में एक बार फिर से अनिश्चितता और तनाव का माहौल पैदा कर दिया है।
अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेन्ट ने इस नीति की पुष्टि करते हुए कहा कि यह कोई नई धमकी नहीं, बल्कि एक पूर्व-नियोजित फैसला है जिसे अब सख्ती से लागू किया जाएगा। इस टैरिफ नीति की नींव पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में रखी गई थी। ट्रंप ने अप्रैल में लगभग सभी देशों पर 10% का एक समान टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, लेकिन व्यापारिक साझेदारों को बातचीत और आपसी समझौते करने का अवसर देने के लिए इसे कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया था।
“बूमरैंग की तरह” वापस आएंगे शुल्क
ट्रंप प्रशासन ने अब साफ कर दिया है कि बातचीत के लिए दी गई मोहलत समाप्त हो रही है और 1 अगस्त से यह शुल्क “बूमरैंग की तरह” वापस आ जाएंगे। स्कॉट बेसेन्ट ने सीएनएन को दिए एक बयान में कहा, “अगर कोई समझौता नहीं होता है, तो टैरिफ लागू होंगे। यह कोई धमकी नहीं, बल्कि हमारी नीति का एक अभिन्न हिस्सा है।” प्रशासन के इस कड़े रुख से स्पष्ट है कि वह व्यापारिक समझौतों को लेकर किसी भी तरह की ढील देने के मूड में नहीं है।
कुछ देशों से बनी बात, कई पर दबाव जारी
इस दबाव की रणनीति के कुछ परिणाम भी देखने को मिले हैं। अमेरिका अब तक ब्रिटेन और वियतनाम के साथ नए व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर कर चुका है। वहीं, चीन के साथ चल रहे व्यापार युद्ध में नरमी लाते हुए अस्थायी रूप से टैरिफ में कमी करने का फैसला हुआ है। फ्रांस और अन्य यूरोपीय संघ के देशों के साथ बातचीत का दौर जारी है और उम्मीद है कि जल्द ही कोई समझौता हो सकता है।
इसी क्रम में, अमेरिकी प्रशासन लगभग 12 अन्य देशों को पत्र भेजकर उन्हें अंतिम निर्णय लेने के लिए कह रहा है, ताकि अगस्त से पहले स्थिति स्पष्ट हो सके।
वैश्विक विरोध और ‘मैक्सिमम प्रेशर’ की नीति
अमेरिका की इस एकतरफा टैरिफ नीति का वैश्विक स्तर पर कड़ा विरोध हो रहा है। जापान और ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) देशों ने इस नीति को लेकर अपनी गहरी आपत्ति जताई है। जापान के प्रधानमंत्री ने दो टूक कहा है, “हम आसानी से समझौता नहीं करेंगे।”
वहीं, हाल ही में रियो डि जेनेरियो में हुई बैठक में ब्रिक्स देशों ने इन प्रस्तावित टैरिफ को ‘अवैध’ और ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक’ करार दिया। इन देशों का मानना है कि इस तरह के कदम संरक्षणवाद को बढ़ावा देंगे और विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का उल्लंघन करेंगे। हालांकि, ट्रंप प्रशासन इसे ‘मैक्सिमम प्रेशर’ (अधिकतम दबाव) की रणनीति बता रहा है, जिसका उद्देश्य अमेरिकी हितों की रक्षा करना है। इस घटनाक्रम ने पूरी दुनिया की नजरें अमेरिका और उसके व्यापारिक साझेदारों के बीच होने वाली बातचीत पर टिका दी हैं।