नई दिल्ली: पाकिस्तान में राजनेताओं और आतंकवादियों के बीच की रेखा धुंधली होती दिख रही है। हाल ही में पाकिस्तान पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष मलिक अहमद खान लश्कर-ए-तैयबा के उप-प्रमुख सैफुल्लाह कसूरी और हाफिज सईद के बेटे तल्हा सईद के साथ एक रैली में मंच साझा करते दिखाई दिए।
स्पीकर ने किया आतंकी का बचाव
मलिक अहमद खान ने सैफुल्लाह कसूरी का बचाव करते हुए कहा कि बिना उचित जाँच के उसे दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने अपने कसूर शहर से व्यक्तिगत जुड़ाव का हवाला देते हुए रैली में अपनी उपस्थिति को उचित ठहराया.

लश्कर ने 1971 के बदले का किया दावा
रैली में सैफुल्लाह कसूरी ने 10 मई को 1971 का बदला लेने का दावा किया. अमेरिका द्वारा घोषित आतंकवादी कसूरी और मजम्मिल हाशमी ने बांग्लादेश की हार का बदला लेने की बात कही. यह रैली भारत के ऑपरेशन सिंदूर के कुछ दिन बाद आयोजित की गई थी.
भारतीय प्रधानमंत्री पर निशाना
28 मई को गुजरांवाला में हुई एक अन्य रैली में, मुजम्मिल हाशमी और अन्य ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं.
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