16वें वित्त आयोग की टीम ने उत्तराखंड दौरे के दौरान राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक करेंगे। आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया के नेतृत्व में हुई इस बैठक में कर वितरण, राज्य की राजस्व मांग और विकास से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से चर्चा राज्य सरकार से की जाएगी।
कर वितरण की व्यवस्था:
डॉ. पनगढ़िया ने बताया कि केंद्र सरकार आयकर, कॉर्पोरेट टैक्स, सेस और सरचार्ज जैसे करों का संग्रह करती है, जबकि राज्य सरकार को SGST, पेट्रोल पर बिक्री कर और आबकारी कर मिलता है। केंद्र सरकार इन करों का एक हिस्सा राज्यों को वितरित करती है, जिसके लिए हर पांच साल में वित्त आयोग का गठन किया जाता है।
उत्तराखंड की मांग:
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्य के वित्त सचिव के साथ बैठक में उत्तराखंड सरकार ने अपनी मांगें रखीं। राज्य सरकार ने केंद्रीय उपकर (सेस और सरचार्ज) में से 10% हिस्सा उत्तराखंड को देने की मांग की। वित्त सचिव ने बताया कि 15वें वित्त आयोग ने उत्तराखंड को 41% हिस्सा दिया था, जबकि आबादी के आधार पर केवल 15% बजट राज्यों में बांटा गया था।
कर संग्रह और प्रति व्यक्ति आय:
डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि प्रति व्यक्ति आय कर संग्रह को प्रभावित करती है। हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय देश में सबसे अधिक है। आयोग ने क्षेत्रफल के आधार पर भी 15% हिस्सेदारी तय की है, जबकि राज्य की राजस्व संग्रहण क्षमता के अनुसार अतिरिक्त 2.5% का प्रावधान किया गया है।
वन क्षेत्र में वृद्धि के लिए अनुदान की मांग:
उत्तराखंड सरकार ने राज्य में वन क्षेत्र में 10 से 20 प्रतिशत की वृद्धि का हवाला देते हुए इसके लिए विशेष अनुदान की मांग की। आयोग ने इस पर्यावरणीय योगदान की सराहना की और सभी बिंदुओं पर विचार करने का आश्वासन दिया।
आम लोगों से संवाद:
आयोग अगले चरण में प्रदेश के विभिन्न शहरों और पंचायतों का दौरा कर आम लोगों से भी संवाद करेगा।
बद्री-केदार का दौरा:
16वें वित्त आयोग की टीम मंगलवार को बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम का दौरा भी करेगी और पर्यटन की संभावनाओं पर बैठक करेगी। बुधवार को पर्यटन और व्यापार प्रतिनिधियों के साथ बैठक होगी।
Pls read:Uttarakhand: हरीश रावत ने दी काफल पार्टी, पहाड़ी संस्कृति और पलायन पर जताई चिंता