देहरादून। सचिव पशुपालन डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम ने बुधवार को केदारनाथ यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों में फैले एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस के संक्रमण को लेकर पशुपालन विभाग द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 26 मार्च 2025 को राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान द्वारा रुद्रप्रयाग जिले के दो गांवों में की गई सैंपलिंग में यह वायरस पाया गया था. इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पशुपालन मंत्री सौरव बहुगुणा के निर्देश पर विभाग ने कई कदम उठाए हैं.
16 हज़ार घोड़े-खच्चरों की सैंपलिंग
4 अप्रैल से यात्रा शुरू होने तक 16 हज़ार घोड़े-खच्चरों की सैंपलिंग की गई. जिन जानवरों की रिपोर्ट नेगेटिव आई, उन्हें ही यात्रा में ले जाने की अनुमति दी गई. 16 हज़ार में से 152 सैंपल पॉजिटिव पाए गए थे, लेकिन इनका पुनः आर.टी.पी.सी.आर. टेस्ट कराने पर सभी नेगेटिव आए.
13 घोड़े-खच्चरों की मौत
दो दिन की यात्रा में 13 घोड़े-खच्चरों की मौत की सूचना मिली है. इनमें से 8 की मौत डायरिया से और 5 की मौत एक्यूट कोलिक से हुई है. विस्तृत रिपोर्ट के लिए सैंपल आई.वी.आर.आई. बरेली भेजे गए हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए 22 से अधिक डॉक्टरों की टीम यात्रा मार्ग पर तैनात की गई है.
विशेषज्ञों की टीम तैनात
पशुपालन विभाग ने इस स्थिति से निपटने के लिए प्रत्येक जनपद में एक मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी, दो उप मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी, 22 पशु चिकित्सक, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र के दो वैज्ञानिक और पंतनगर विश्वविद्यालय के दो विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात किए हैं. ये विशेषज्ञ 2009 में भी इसी बीमारी के रोकथाम में कार्य कर चुके हैं.
स्वस्थ और अस्वस्थ जानवरों की पहचान
यात्रा को सुचारू रूप से चलाने के लिए स्वस्थ और अस्वस्थ घोड़े-खच्चरों की पहचान की जा रही है. अस्वस्थ जानवरों को यात्रा मार्ग में जाने की अनुमति नहीं है. स्वस्थ जानवरों की भी सैंपलिंग की जा रही है और रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही उन्हें यात्रा मार्ग में ले जाने की अनुमति दी जा रही है.
उत्तर प्रदेश से आने वाले 2-3 हजार घोड़े-खच्चरों पर फिलहाल पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है.
मनुष्यों को संक्रमण का खतरा नहीं
एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस जानवरों से मनुष्यों में नहीं फैलता, लेकिन घोड़े-खच्चरों में यह बहुत तेजी से फैलता है.
स्थानीय लोगों ने रोक बढ़ाने का किया अनुरोध
केदार घाटी में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए स्थानीय लोगों, घोड़े-खच्चर व्यवसायियों और अन्य संगठनों ने यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों पर लगी रोक को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया है. घोड़े-खच्चरों के पुनः संचालन पर जिला प्रशासन स्थानीय स्तर पर फैसला लेगा.
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