
ढाका: बांग्लादेश में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ती यौन हिंसा के विरोध में छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा है। ढाका में छात्रों ने अपना आंदोलन तेज कर दिया है और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर इन अपराधों को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया है। बड़ी संख्या में छात्रों ने विरोध मार्च निकाला और “दुष्कर्मियों को फांसी दो”, “महिलाओं और बच्चों की रक्षा करो”, “सरकार जागो” जैसे नारे लगाए।
गृह सलाहकार का इस्तीफा मांगा
जगन्नाथ विश्वविद्यालय, ईडन कॉलेज, गवर्नमेंट टिटुमिर कॉलेज, यूनिवर्सिटी ऑफ लिबरल आर्ट्स बांग्लादेश और बीआरएसी विश्वविद्यालय समेत कई शिक्षण संस्थानों के छात्र-छात्राओं ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। छात्रों ने सरकार पर देश में अपराधों को रोकने में नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए बांग्लादेश के गृह मामलों के सलाहकार का इस्तीफा मांगा है।
बाहर निकलने में डर
ढाका के एक विश्वविद्यालय की छात्रा समीहा चौधरी ने कहा, “दुष्कर्म के बढ़ते मामलों की वजह से हम बाहर निकलने से डरते हैं। यहाँ तक कि विश्वविद्यालय जाना भी सुरक्षित नहीं लगता। हमने सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।”
बांग्लादेश महिला परिषद की रिपोर्ट: चिंताजनक आंकड़े
बांग्लादेश महिला परिषद द्वारा सितंबर 2024 की रिपोर्ट में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। यह रिपोर्ट समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के आधार पर तैयार की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, यौन हिंसा से पीड़ित 5 लड़कियों और 9 महिलाओं ने आत्महत्या कर ली, जबकि कई मामलों में अपराधियों ने खुद पीड़िताओं की हत्या कर दी।
जनवरी 2025 में और बढ़ी हिंसा
बांग्लादेश महिला परिषद की अक्टूबर 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, उस महीने 200 लड़कियों और महिलाओं को हिंसा का सामना करना पड़ा। दिसंबर में यह संख्या 163 रही, जबकि जनवरी 2025 में यह बढ़कर 205 हो गई। रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ हिंसा का यह सिलसिला अभी भी जारी है। बांग्लादेश महिला परिषद ने इन बढ़ती घटनाओं की कड़ी निंदा की है.
शेख हसीना के बाद अल्पसंख्यकों पर हिंसा में वृद्धि
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय, खासकर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा में वृद्धि हुई है। बांग्लादेश के 48 जिलों में हिंदुओं और उनकी संपत्ति को निशाना बनाया गया है।
आगे की कार्रवाई
छात्रों का विरोध प्रदर्शन सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास है ताकि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जा सकें। देखना होगा कि सरकार इस गंभीर मुद्दे पर क्या कदम उठाती है और छात्रों की मांगों पर क्या प्रतिक्रिया देती है।
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