
चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उनके राज्य के पास दूसरे राज्यों को देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है। मान ने यह बात रावी-ब्यास जल ट्रिब्यूनल के समक्ष राज्य का पक्ष रखते हुए कही।
ट्रिब्यूनल से अपील:
मुख्यमंत्री ने ट्रिब्यूनल से अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार पानी की उपलब्धता का पुनर्मूल्यांकन करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि पंजाब के 76.5% ब्लॉक (153 में से 117) में पानी की स्थिति बेहद गंभीर है। उन्होंने ट्रिब्यूनल से पंजाब के लोगों को न्याय दिलाने की अपील की और आश्वासन दिया कि राज्य के हितों की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।
हरियाणा पर निशाना:
मान ने कहा कि हरियाणा रावी और ब्यास नदियों का बेसिन राज्य नहीं है, फिर भी पंजाब को इन नदियों का पानी हरियाणा के साथ साझा करने के लिए मजबूर किया जाता है. उन्होंने मांग की कि अगर हरियाणा को रावी-ब्यास का पानी मिलता है, तो समानता के आधार पर यमुना का पानी भी पंजाब को मिलना चाहिए।
किसानों का मुद्दा:
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के किसानों से अनाज लेने के बाद उन्हें पराली जलाने और प्रदूषण फैलाने का दोषी ठहराया जाता है, जो न्यायसंगत नहीं है.
भूजल स्तर में सुधार:
मान ने बताया कि राज्य सरकार के प्रयासों से भूजल स्तर में एक मीटर की वृद्धि हुई है. उन्होंने केंद्र सरकार से फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए वैकल्पिक फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रदान करने का अनुरोध किया.
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