
ओटावा: 1985 के एयर इंडिया बम कांड में बरी किए गए रिपुदमन सिंह मलिक की हत्या के दोषी टैनर फॉक्स को कनाडा की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 24 साल के फॉक्स को इस उम्रकैद के दौरान 20 साल तक पैरोल नहीं मिलेगी।
फॉक्स और उसके सहयोगी जोस लोपेज़ ने पिछले अक्टूबर में मलिक की दूसरी डिग्री हत्या के लिए दोषी होने की बात स्वीकार की थी। उन्होंने कबूल किया कि उन्हें मलिक की हत्या के लिए पैसे दिए गए थे, लेकिन यह नहीं बताया कि उन्हें पैसे किसने दिए। लोपेज़ की अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी।
1985 का एयर इंडिया बम कांड
23 जून 1985 को टोरंटो से मुंबई जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट 182 आयरिश तट के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इस हादसे में सभी 329 यात्रियों की मौत हो गई थी। यह हादसा 9/11 हमलों से पहले तक सबसे घातक विमानन आतंकवाद की घटना मानी जाती थी। विमान में सवार अधिकांश यात्री कनाडाई नागरिक थे, जो भारत में अपने रिश्तेदारों से मिलने जा रहे थे।

इसी दिन जापान के नारिता हवाई अड्डे पर एक और विस्फोट हुआ था, जिसमें दो बैगेज संचालकों की मौत हो गई थी। दोनों बम वैंकूवर में पाए गए थे। कनाडा सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, माना जाता है कि ये बम विस्फोट कनाडा स्थित सिख अलगाववादियों द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेने के लिए किए गए थे।
किसने दिए थे पैसे?
इस घटना के बाद तलविंदर सिंह परमार और इंद्रजीत सिंह रेयात को गिरफ्तार किया गया था। परमार को इस हमले का मास्टरमाइंड माना जाता था, लेकिन सबूतों के अभाव में उसे छोड़ दिया गया। रिपुदमन सिंह मलिक और अजायब सिंह बागरी को 2000 में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन 2005 में उन्हें भी बरी कर दिया गया। इंद्रजीत सिंह रेयात ही एकमात्र व्यक्ति है जिसे इस साजिश में दोषी ठहराया गया है।
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