आजमगढ़: निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद ने भाजपा पर तीखे हमले करते हुए कहा कि पार्टी न तो उन्हें पर्याप्त सीटें दे रही है और न ही चुनाव चिन्ह, जिसके कारण लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. उन्होंने आरोप लगाया कि संत कबीर नगर में प्रवीण निषाद की हार में भाजपाइयों की भूमिका रही.
शुक्रवार को कोटवा सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में डॉ. निषाद ने कहा कि मछुआ समाज अब भी आरक्षण से वंचित है, जिसके चलते 2024 के लोकसभा चुनाव में यह समाज विपक्षी गठबंधन की ओर चला गया. इसका खामियाजा भाजपा को उत्तर प्रदेश की 43 लोकसभा सीटों पर हार के रूप में भुगतना पड़ा. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर भाजपा ने मछुआ समाज को आरक्षण नहीं दिया तो 2027 में भी उसे इसका परिणाम भुगतना होगा.
कैबिनेट मंत्री आशीष निषाद के बगावती तेवरों का समर्थन करते हुए डॉ. निषाद ने कहा कि कुछ अधिकारी उनकी छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी जिसके साथ रहती है, मजबूती से खड़ी रहती है. सपा द्वारा दरवाजे बंद करने के बाद वे भाजपा के साथ आए, लेकिन भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव में संत कबीर नगर सीट से प्रवीण निषाद को हराने में भाजपा के लोगों का हाथ था, लेकिन उनपर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
डॉ. निषाद ने कहा कि भाजपा ने मझवां से उनके विधायक को तोड़कर अपना प्रत्याशी बनाया और मछुआ समाज को सम्मान नहीं दिया. अतरौलिया विधानसभा सीट के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस सीट पर उन्हें सबसे ज्यादा वोट मिले थे और इस बार भी वे यहां से चुनाव लड़ेंगे. गौरतलब है कि एनडीए की सहयोगी सुभासपा की भी इस सीट पर नजर है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुए डॉ. निषाद ने कहा कि मुख्यमंत्री अच्छे हैं और उनके मार्गदर्शक हैं, लेकिन कुछ अधिकारी ऐसे काम कर रहे हैं जिससे मतदाता और सहयोगी दल नाराज हो रहे हैं. ये अधिकारी सरकार की छवि खराब कर विपक्ष को फायदा पहुंचा रहे हैं.
डॉ. निषाद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कुछ ऐसे राजनीतिक दल हैं जो जातीय और धार्मिक संघर्ष कराकर ही जिंदा रह सकते हैं. संभल हिंसा पर उन्होंने कहा कि जो सर्वे हो रहा है, वह पुरातत्व विभाग कर रहा है और इसमें सरकार का कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि संभल हिंसा की जांच होनी चाहिए.
अंत में उन्होंने भाजपा को चेतावनी देते हुए कहा कि निषाद पार्टी तो भाजपा से नाराज नहीं है, लेकिन मछुआ समाज एनडीए से नाराज है. अगर उनकी नाराजगी दूर नहीं की गई तो 2027 के विधानसभा चुनाव में यह समाज सबक सिखा देगा.
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