शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। राज्य को ई-वाहनों का केंद्र बनाने के लिए सरकार ने काम शुरू कर दिया है। इसकी शुरुआत सरकारी विभागों से होगी। अब राज्य सचिवालय से लेकर सभी सरकारी विभागों, बोर्ड और निगमों को केवल ई-वाहन ही मिलेंगे। ये वाहन खरीदे नहीं जाएंगे, बल्कि किराए पर लिए जाएंगे।
680 करोड़ की राजीव गांधी स्टार्टअप योजना:
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 11 दिसंबर को बिलासपुर में 680 करोड़ रुपये की राजीव गांधी स्टार्टअप योजना के तहत ई-वाहनों की शुरुआत की थी। इसी साल से सरकारी विभागों को ई-वाहन मिलने शुरू हो जाएंगे। परिवहन विभाग को इस योजना का नोडल एजेंसी बनाया गया है।
ई-वाहन के लिए आवेदन प्रक्रिया:
जिस भी विभाग को ई-वाहन चाहिए, वह परिवहन विभाग को आवेदन करेगा। परिवहन विभाग के पास ई-वाहन सेवा देने के इच्छुक युवाओं की सूची होगी, जिसे श्रम एवं रोजगार विभाग को भेजा जाएगा। अभी तक 121 ई-वाहनों की मांग आ चुकी है। पुलिस और राजस्व विभाग के फील्ड अधिकारियों को उन जगहों पर डीजल/पेट्रोल के वाहन मिलेंगे जहाँ ई-वाहन चलाना संभव नहीं होगा।
एचआरटीसी में 2400 डीजल बसें होंगी बदली:
हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) अपनी 2400 डीजल बसों को ई-बसों से बदलेगा। निगम के पास कुल 3180 बसें हैं, जिनमें से 90 ई-बसें हैं। एचआरटीसी ने 327 नई बसों की खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी है। दूसरे चरण में हाइड्रोजन बसें भी शामिल की जाएंगी।
चार्जिंग स्टेशन की होगी स्थापना:
सरकार ई-वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन भी लगा रही है। प्रदेश में अभी 150 चार्जिंग स्टेशन हैं और निजी क्षेत्र के सहयोग से और भी स्टेशन लगाए जा रहे हैं। सभी सरकारी विभागों में भी चार्जिंग स्टेशन लगाए जाएंगे।
ई-वाहनों की बढ़ती संख्या:
2017 में हिमाचल में सिर्फ़ 15 ई-वाहन पंजीकृत थे, जो 2024 में बढ़कर 3299 हो गए हैं। 2023 में सबसे ज्यादा 1128 ई-वाहन पंजीकृत हुए। प्रदेश में फ़िलहाल 87 ई-बसें और 2444 ई-स्कूटर/बाइक हैं। सरकार का मानना है कि ई-वाहन प्रदूषण कम करने में मदद करेंगे।
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