
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर, 2024: 20वीं सदी के विख्यात भारतीय दार्शनिक और आध्यात्मिक गुरु ओशो की 11 दिसंबर को जयंती मनाई जाती है। मध्य प्रदेश के रायसेन में 1931 में जन्मे ओशो ने दर्शनशास्त्र की शिक्षा प्राप्त की और युवावस्था से ही ध्यान और साधना में रत रहे। उनके विचारों ने लाखों लोगों को प्रभावित किया है और आज भी लोग उनकी शिक्षाओं से जीवन में मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं। ओशो के विचार प्रेम, खुशी, आध्यात्मिकता और समाज जैसे जीवन के विभिन्न पहलुओं को स्पर्श करते हैं, और इन विचारों को गहराई से समझने पर जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण मिल सकता है।
यहाँ ओशो के कुछ प्रेरणादायक विचार प्रस्तुत हैं जो आपके जीवन के नज़रिए को बदल सकते हैं:
ओशो के चुनिंदा प्रेरणादायक विचार:
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प्रेम और अहंकार: “प्रेम और अहंकार, प्रकाश और अंधकार की तरह हैं। अगर कहीं प्रकाश है तो वहां अंधेरा नहीं रह सकता। अंधेरा तभी हो सकता है, जब प्रकाश न हो।” यह विचार प्रेम और अहंकार के बीच के विरोधाभासी संबंध को दर्शाता है, यह बताते हुए कि सच्चा प्रेम अहंकार को नष्ट कर देता है।
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वर्तमान में जियो: “अतीत को जाने दो और भविष्य के बारे में मत सोचो। वर्तमान में जियो।” ओशो का यह विचार जीवन में सचेतन रहने और वर्तमान क्षण का आनंद लेने के महत्व पर जोर देता है, बजाय अतीत के पछतावे या भविष्य की चिंता में खोने के।
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प्रेम की भाषा: “प्रेम की कोई भाषा नहीं होती है, प्रेम का फूल मौन में खिलता है। प्रेम संगीत है, प्रेम अंतर्नाद है और प्रेम ही अनाहद नाद है।” यह विचार प्रेम की गहराई और उसकी अभिव्यक्ति की सीमाओं को दर्शाता है, यह बताते हुए कि प्रेम शब्दों से परे एक अनुभव है।
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औसत मत बनो: “समाज हमेशा तुम्हें औसत बनाने की कोशिश करेगा। तुम औसत मत बनो।” ओशो का यह विचार व्यक्तिगत पहचान और स्वतंत्र सोच के महत्व को दर्शाता है, यह बताते हुए कि समाज के दबावों से स्वयं को अलग रखना महत्वपूर्ण है।
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धर्म और सत्य: “सभी धर्म सत्य की ओर इशारा करते हैं, लेकिन कोई भी धर्म सत्य नहीं है।” यह विचार धर्म के प्रति एक आलोचनात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, यह बताते हुए कि सत्य व्यक्तिगत अनुभव और आत्म-खोज से प्राप्त होता है, न कि किसी संगठित धर्म से।
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ज्ञान का अनुभव: “ज्ञान को केवल दिमाग से प्राप्त नहीं किया जा सकता है, इसे अनुभव से भी प्राप्त किया जाना चाहिए।” यह विचार ज्ञान प्राप्ति के लिए अनुभवों के महत्व पर प्रकाश डालता है, यह बताते हुए कि सच्चा ज्ञान केवल बौद्धिक समझ से परे जाता है।
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आंतरिक बच्चा: “मुक्ति तब होती है जब आप अपने भीतर के बच्चे को फिर से खोज लेते हैं।” यह विचार आत्म-खोज और आंतरिक शांति के महत्व को दर्शाता है, यह बताते हुए कि सच्ची मुक्ति आंतरिक खुशी और स्वीकृति से मिलती है।
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गुस्सा और अहंकार: “जब तुम गुस्से में होते हो, तब तुम्हारे भीतर अहंकार रहता है। जब भी तुम्हारे मन में प्रेम होता है, तब वहां अहंकार नहीं रहता है।” यह विचार गुस्से और अहंकार के बीच के संबंध को दर्शाता है और प्रेम को अहंकार का प्रतिविष बताता है।
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प्रेम और अहंकार का विपरीत संबंध: “जहां प्रेम नहीं है, वहां अहंकार हो सकता है। इसके विपरीत अगर अहंकार खत्म हो जाए तो हमें हर दिशा से प्रेम मिलने लगता है।” यह विचार अहंकार को दूर करने से मिलने वाले प्रेम और स्वीकृति पर जोर देता है।
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आत्म-ज्ञान: “कोई आदमी चाहे लाखों चीजें जान ले, चाहे वह पूरे संसार को जान ले, मगर वह खुद को नहीं जानता है तो वह अज्ञानी है।” यह विचार आत्म-ज्ञान की महत्ता को दर्शाता है, यह बताते हुए कि बाहरी ज्ञान आंतरिक समझ के बिना अधूरा है।
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जीवन का हास्य: “जीवन कोई त्रासदी नहीं है; ये एक हास्य है।” यह विचार जीवन के प्रति एक सकारात्मक और हल्का दृष्टिकोण अपनाने की सलाह देता है।
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आत्म-विश्वास: “जीवन में विश्वास करना है, तो पहले खुद पर विश्वास करो।” यह विचार आत्म-विश्वास और आत्म-सम्मान के महत्व पर बल देता है।
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आत्म-खोज: “जीवन का सबसे महत्वपूर्ण काम है – खुद को खोजना।” यह ओशो का सबसे महत्वपूर्ण संदेश है, जो आत्म-खोज और आत्म-साक्षात्कार की यात्रा को जीवन का लक्ष्य बताता है।
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प्रेम का आकर्षण: “जिसे तुम प्यार से बुलाओ, वो तुम्हारे पास आएगा।” यह विचार सकारात्मकता और प्रेम के आकर्षण शक्ति पर जोर देता है।
ओशो के ये विचार हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं पर नए सिरे से विचार करने और अपने जीवन को अधिक अर्थपूर्ण बनाने के लिए प्रेरित करते हैं।