Uttarakhand: उत्तराखंड में स्वयं सहायता समूहों के लिए नए दिशानिर्देश जारी – The Hill News

Uttarakhand: उत्तराखंड में स्वयं सहायता समूहों के लिए नए दिशानिर्देश जारी

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देहरादून: उत्तराखंड में ग्राम्य विकास विभाग द्वारा विभिन्न सामुदायिक संगठनों, जैसे स्वयं सहायता समूह, ग्राम संगठन और कल्स्टर फेडरेशनों को स्थायी स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न विकास कार्यक्रमों का क्रियान्वयन किया जा रहा है। राज्य सरकार इन संगठनों के सदस्यों के उद्यमिता विकास और विस्तार के लिए प्रतिबद्ध है।

स्वयं सहायता समूह स्थानीय स्तर पर विभिन्न खाद्य उत्पाद, जैसे जैम, जैली, जूस, अचार, पापड़, चटनी, शहद, दुग्ध उत्पाद, बैकरी उत्पाद, मसाले, और अन्य सामग्री का निर्माण करते हैं। इन उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और स्वरोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए सचिव ग्राम्य विकास, राधिका झा ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं।

मुख्य दिशानिर्देश:

  • ऑनलाइन FSSAI प्रमाणीकरण: समूहों द्वारा उत्पादित खाद्य सामग्री के उत्पादन के लिए ऑनलाइन FSSAI प्रमाणीकरण अनिवार्य होगा।

  • पैकेजिंग: खाद्य सामग्री की पैकेजिंग पर Ingredients, date of Manufacturing/Expiry, और निर्मितकर्ता का नाम स्पष्ट रूप से अंकित किया जाना चाहिए।

  • मानकीकृत पैकेजिंग: उत्पाद की गुणवत्ता और शेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए मानकीकृत पैकेजिंग की जाएगी।

  • स्वच्छता और गुणवत्ता: खाद्य उत्पादों के लिए स्वच्छता और गुणवत्ता मानकों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा।

  • फूड कलर का उपयोग: निर्मित उत्पादों में किसी भी तरह के फूड कलर का उपयोग नहीं किया जाएगा। अपरिहार्य स्थिति में निर्धारित मानकानुरूप उपयोग किया जा सकता है।

  • प्रसंस्करण: उत्पादों के प्रसंस्करण सामग्री और तकनीक पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

  • रसायनिक संरक्षकों का उपयोग: रसायनिक संरक्षकों (Preservatives) का उपयोग आवश्यकता होने पर ही मानकों के अनुसार किया जाएगा।

  • गुणवत्ता जांच: निर्मित उत्पादों की नियमित रूप से गुणवत्ता जांच सुनिश्चित की जाएगी।

  • नवाचार: उत्पादन में नए प्रयोग और नवाचार को बढ़ावा दिया जाएगा।

  • मशीनरी की देखभाल: समूहों द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली मशीनों की नियमित देखभाल की जाएगी और खराब स्थिति में तुरंत मरम्मत की जाएगी।

  • जिम्मेदारी: समूहों द्वारा उत्पादित उत्पादों की गुणवत्ता/विपणन हेतु संबंधित ग्राम स्तर पर एरिया कॉर्डिनेटर, विकास खण्ड स्तर पर संबंधित बी०एम०एम० एवं जनपद स्तर पर डी०टी०ई० का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाएगा।

  • स्थलीय निरीक्षण: विकास खण्ड स्तरीय अधिकारियों द्वारा प्रत्येक माह समूहों द्वारा उत्पादित उत्पादों का स्थलीय निरीक्षण करते हुए गुणवत्ता, पैकेजिंग आदि निर्धारित मानकों के अनुरूप सुनिश्चित कराई जाएगी।

  • मुख्यमंत्री उद्यमशाला योजना: N.R.L.M./ग्रामोत्थान के स्वयं सहायता समूह के ऐसे सभी सदस्य जो उद्यम स्थापित करना चाहते हैं अथवा उद्यम विस्तार करना चाहते हैं, को उद्यमिता विकास हेतु मुख्यमंत्री उद्यमशाला योजना (पूर्व नाम रूरल बिजनेस इन्क्यूबेटर) के माध्यम से अनिवार्य रूप से ई०टी०सी० / इन्क्यूबेटर के प्रशिक्षण केन्द्रों में मुख्यमंत्री उद्यमशाला योजना के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।

  • आधुनिक प्रौद्योगिकी: मुख्यमंत्री उद्यमशाला योजना के अंतर्गत आधुनिक प्रौद्योगिकी और उपकरणों के उपयोग करने एवं समूह सदस्यों को उद्यमिता विकास से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।

सचिव ग्राम्य विकास ने उक्त निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने की भी अपेक्षा की है।

 

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