नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बनभूलपुरा में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के विरोध में हुई हिंसा व आगजनी के मामले में 50 आरोपियों, जिनमें छह महिलाएं भी शामिल हैं, की जमानत मंजूर कर ली है।
हाईकोर्ट ने बुधवार को खंडपीठ ने निचली अदालत के उस आदेश को भी रद्द कर दिया जिसमें पुलिस की ओर से 90 दिन बीत जाने के बाद भी आरोपपत्र पेश नहीं किया गया था और निचली कोर्ट ने आरोप पत्र पेश करने के लिए और समय दे दिया था।
मामले की पृष्ठभूमि:
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8 फरवरी को बनभूलपुरा के मलिक का बगीचा क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के विरोध में हुई हिंसा में कई लोग घायल हुए थे और थाने में भी आग लगा दी गई थी।
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इस मामले में 50 लोगों को गिरफ्तार किया गया था जिनमें से छह महिलाएं भी शामिल थीं।
हाईकोर्ट का फैसला:
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हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि पुलिस की ओर से 90 दिन के भीतर आरोपपत्र पेश न करने पर आरोपियों की जमानत मंजूर की जानी चाहिए।
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अदालत ने कहा कि पुलिस बिना कारण किसी को जेल में बंद नहीं रख सकती, भले ही आरोप कितने गंभीर हों।
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अदालत ने कहा कि आरोपियों को जमानत पर रिहा किया जाए क्योंकि जमानत उनका अधिकार है।
प्रकरण में दर्ज धाराएं:
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इस मामले में आरोपियों के विरुद्ध पुलिस ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, आइपीसी की धारा 147, 148, 149, 120 बी, 307, 332, 353, 427, 435, उत्तराखंड प्रिवेंशन आफ डैमेज पब्लिक प्रापर्टी, आर्म्स एक्ट आदि के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।
हाईकोर्ट का यह फैसला बनभूलपुरा हिंसा मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है।
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