चंडीगढ़, 23 फरवरीः
राज्य में फ़सल विभिन्नता के अंतर्गत रेशम उत्पादन समेत अन्य फ़सलों को बढ़ावा देने सम्बन्धी बाग़बानी मंत्री स. चेतन सिंह जौड़ामाजरा के दिशा-निर्देशों पर बाग़बानी विभाग द्वारा सैरीकल्चर से सम्बन्धित अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए पाँच दिवसीय संसाधन विकास प्रशिक्षण प्रोग्राम करवाया गया।
यहाँ के महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (मगसीपा) में केंद्र रेशम बोर्ड, भारत सरकार के सहयोग से करवाए गए प्रशिक्षण प्रोग्राम के दौरान मुख्य मेहमान के तौर पर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के कमिश्नर श्रीमती नीलिमा, डायरैक्टर बाग़बानी श्रीमती शैलिन्दर कौर और केंद्र रेशम बोर्ड के अधिकारियों द्वारा शिरकत की गई।
मुख्य मेहमान श्रीमती नीलिमा ने अपने संबोधन के दौरान राज्य में रेशम उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए अधिक से अधिक उपाय करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। डायरैक्टर बाग़बानी ने बताया कि रेशम उत्पादन का पेशा पंजाब में मुख्य तौर पर कंडी जिलों गुरदासपुर, पठानकोट, होशियारपुर और रोपड़ के छोटे किसानों द्वारा किया जा रहा है। सरकार द्वारा सैरीकल्चर स्कीमों के अधीन विभिन्न गतिविधियों जैसे प्लांटेशन, कीट पालन घर, रेरिंग उपकरण, प्रशिक्षण, एक्सपोजर विज़िट आदि अधीन सब्सिडी मुहैया करवाई जाती है।
प्रशिक्षण के प्रोग्राम के दौरान सैरीकल्चर के विकास सम्बन्धी विषय माहिरों और वैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न विषयों से सम्बन्धित तकनीकी जानकारी दी गई। केंद्रीय रेशम बोर्ड के सहायक सचिव श्री दशरथी बहेरा, साइंटिस्ट-डी बंगलोर श्री सदीकी अली, डायरैक्टर, सी.एस.आर. एंड टी.आई, पामपुर श्री एन.के. भाटिया, साइंटिस्ट-डी श्री सरदारा सिंह और सुरिन्दर भट्ट ने रेशम उत्पादन सम्बन्धी विभिन्न विषयों पर विस्तृत रौशनी डाली।
प्रशिक्षण प्रोग्राम के दौरान विभाग के सैरीकल्चर विंग द्वारा विभिन्न गतिविधियों को दर्शाती प्रदर्शनी भी लगाई गई। इसके इलावा गोआ इंस्टीट्यूट आफ ट्रेनिंग स्टड्डीज़ के अधिकारियों द्वारा शख्सियत विकास, स्व-जागरूकता, समय प्रबंधन और डैलीगेशन स्किल आदि सम्बन्धी प्रशिक्षण दिया गया।\
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