अपनी एक फेसबुक पोस्ट में पूर्व सीएम ने कहा कि यह अकेले विधायक मदन बिष्ट की समस्या नहीं है, यह शिकायत हर विपक्षी नेता और सामाजिक कार्यकर्ता की है। अधिकारियों को हमेशा यह डर सताता है कि यदि भाजपा तक यह खबर पहुंच गई कि उन्होंने अमुक विपक्षी नेता का फोन उठाकर आदर सत्कार किया तो फिर उनकी विदाई तय है।
हरीश ने कहा कि राज्य में कुछ अधिकारी अच्छा काम भी कर रहे हैं। हम उनकी सार्वजनिक प्रशंसा इसलिए नहीं करते हैं कि कहीं इससे उनकी पोस्टिंग पर कोई असर न पड़े। आज प्रदेश की राजनीति का रुख कुछ ऐसा हो चला कि है कि विपक्ष के नेताओं का टेलीफोन न उठाना, भाजपा और वर्तमान सत्ता के प्रति उनकी वफादारी का मापदंड बन गया है। यह ठीक नहीं है। हालांकि रावत ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि विधायक बिष्ट ने जो किया है वह कितना सही और कितना गलत। फोन पर कई बार संपर्क करने पर उनसे बात नहीं हो पाई।
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