देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू के खिलाफ राजपुर थाना पुलिस में मुकदमा दर्ज किया है। बीएस सिद्धू पर मृत व्यक्ति के फर्जी दस्तावेज तैयार कर वन भूमि पर कब्जा करने का आरोप है। प्रभागीय वनाधिकारी मसूरी वन प्रभाग आशुतोष सिंह की तहरीर पर सिद्धू समेत पूर्व तहसीलदार सात अन्य लोग भी नामजद हैं। इस मामले की लंबे समय से जांच चल रही थी।
पुलिस के अनुसार राजस्व ग्राम गिरवाली पुरानी मसूरी रोड और ढाकपट्टी राजपुर में कुछ भूमि को भारतीय वन अधिनियम के अंतर्गत आरक्षित वन घोषित किया गया है। राजस्व अभिलेखों में यह भूमि नत्थूराम नामक व्यक्ति के नाम पर दर्ज थी जिसकी मौत 1983 में में हुई। इसी मरे हुए व्यक्ति से तत्कालीन डीजीपी सिद्धू ने वर्ष 2012 में मेरठ के अधिवक्ता दीपक शर्मा और स्मिता दीक्षित के माध्यम से उक्त भूमि के फर्जी दस्तावेज तैयार कराए और 21 मई 2012 को नत्थूराम नाम के दूसरे व्यक्ति को खड़ा कर भूमि का पंजीकरण अपने नाम पर करा लिया। इसमें दीपक शर्मा और सुभाष शर्मा गवाह बने।
इसके बाद 20 नवंबर 2012 को बीएस सिद्धू ने भूमि पर दावा जता रहे मेरठ निवासी रहमुद्दीन के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया। 26 अक्टूबर 2012 को सीमांकन की कार्रवाई निरस्त होने के बावजूद बीएस सिद्धू ने उक्त भूमि अपने नाम करा ली। उधर, तत्कालीन तहसीलदार सदर सुजाउद्दीन ने असली नत्थूराम के स्वजन की आपत्तियों की अवहेलना करते हुए क्षेत्र के लेखपाल की विपरीत आख्या के बावजूद आरक्षित वन क्षेत्र की भूमि का दाखिल खारिज 13 मार्च 2013 को बीएस सिद्धू के पक्ष में कर दिया। हालांकि, तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी की ओर से दाखिल खारिज को अवैध सिद्ध करने पर राजस्व विभाग ने दाखिल खारिज को निरस्त कर दिया। इसके अलावा 13 मार्च 2013 को उक्त भूमि पर साल प्रजाति के 21 वृक्षों समेत कुल 25 वृक्षों के अवैध पातन की दो अलग-अलग घटनाएं भी संज्ञान में आईं, यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
आरोप यह भी है कि बीएस सिद्धू ने नौ जुलाई 2013 को अपने पद का दुरुपयोग करते हुए शिकायत करने वाले वन अधिकारियों और कर्मचारियों पर दबाव बनाने के लिए थाना राजपुर में तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी मसूरी डा. धीरज पांडे व अन्य कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया।
जिलाधिकारी देहरादून ने भी 22 अप्रैल 2016 को फर्जीवाड़ा कर वन भूमि का क्रय-विक्रय किए जाने के संबंध में जांच रिपोर्ट मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन को भेजी थी। इस पर प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की संस्तुति की गई। 27 अगस्त 2018 को एनजीटी ने बीएस सिद्धू को 46 लाख 15 हजार रुपये अर्थदंड लगाया था।