क्या अपने राजनीतिक इतिहास में उत्तराखंड को पहली बार एक महिला मुख्यमंत्री मिलने जा रही है? या फिर केंद्र पराजित धामी के लिए हामी भरेगा। एक कुर्सी 7 चेहरे – रेस में दिगग्ज भाग रहे हैं, धाक शेरनी की भी है। तो ऐसे में सीएम आसन पर आसीन होगा कौन? और कब होगा, क्या होलाष्टक के बाद? प्रदेश की इस पेचिदा दिलचस्प सियासत की पूरी गुत्थी इस एक रिपोर्ट में-
प्रदेश में फंसे भाजपा के पेंच ?
भाजपा संगठन यूं तो प्रचंड जीत के रंग मे रंग गया हैं लेकिन पेंच फिर से पार्टी का सीएम चेहरे पर आकर फंस गया है। वैसे तो राज्य में नए सरकार के गठन की कवायद शुरु गई है लेकिन लीडर लापता है अबतक। चर्चा में कईं चेहरों का जिक्र है, कुछ विधायक है कुछ सांसद हैं खुद निवर्तनाम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सीएम रेस मे सबसे आगे दौड रहे हैं – कुलमिलकार भितरघर कईं नामों की पैरवी चल रही है। लेकिन तमाम नामों में 7 दावेदार ऐसे हैं जिनहे सबसे मजबूत मुख्यमंत्री पद के लिए माना जा रहा है। रोचक ये है कि इनमे से एक महिला नेता भी हैं- कौन है ये दिगग्ज?
एक कुर्सी – 7 चेहरे
अजीब सी बात है लकिन रिजल्टस आने से पहले पूरे प्रदेश को ये जानना था कि कांग्रेस का सीएम चेहरा कौन है-भाजपा बेफ्रिक थी अपने young face पुष्कर सिंह धामी को लेकर , अब सत्ता तो नही पलटी लेकिन स्थिती पलट गई – कांग्रेस नही भारतीय जनता पार्टी को अब ये तय करना है कि वो अगला सीएम किसे बनाएंगे। खबरें हैं कि विधायकों के बीच से ही कोई विधायक अगला मुख्यमंत्री होगा। जिसमें से एक नाम कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज का है, दूसरा नाम धन सिंह रावत का है और सूची मे तीसरा नाम आता है बिशन सिंह चुफाल का। हालाकि कुछ का ये भी मानना है कि केंद्र से कोई कद्दावर प्रदेश की कमान संभालने बुलाया जा सकता है। इसमें दो चेहरों की ओर इशारा किया जा रहा है- एक तो हैं लोकसभा सांसद अजय भट्ट और दूसरे हैं राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी। क्यों ये प्रबल उम्मीदवार है इसकी जानाकरी हम पहले आपको दे चुके हैं, नही जानते तो decription पर दिए लिंक पर क्लिक पर जान जाएंगे। खैर आगे बढते हैं शुरुआत मे उठाए गए अपनी सवाल की ओर कि क्या उत्तराखंड को पहली बार एक महिला मुख्यमंत्री मिलने जा रही है? कह रहे हैं क्योंकि मुख्यमंत्री की रेस मे धामी, सतपाल महाराज, धन सिंह रावत, बिशन सिंह चुफाल, भट्ट और बलूनी के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता भुवन चन्द्र खण्डूरी की बेटी ऋतु खंडूरी भी दौड़ रही हैं, वही ऋतु खंडूरी जिन्होने अपने पिता की हार का बदला इस बार सूत समेत लिया है।
पूर्व सीएम की बेटी बनेगी भावी सीएम ?
विधानसभा चुनावों में इस बार नतीजें इसलिए भी खास रहे क्योंकि राज्य ने इस बार दो बेटियों को पिता का बदला लेते हुए देखा। एक ओर कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत ने हरिद्वार ग्रामीण सीट से कैबिनेट मंत्री यतीश्वरानंद को करीब छह हजार वोटों से हरा दिया तो दूसरी ओर कोटद्वार विधानसभा सीट से भुवन चन्द्र खण्डूरी की बेटी बीजेपी प्रत्याशी ऋतु खंडूरी ने कांग्रेस उम्मीदवार सुरेंद्र सिंह नेगी को शिकस्त दी। 2017 में हरीश रावत यतीश्वरानंद से हारे थे और 2012 में खंडूरी को मुख्यमंत्री रहते हुए सुरेंद्र सिंह नेगी ने हराया था। अनुपमा रावत को तो हालाकि विधायक पद मे संतुष्टि रखनी होगी लेकिन भाजपा के जीतने के बाद ऋतु खंडूरी को सीएम रेस का हिस्सा माना जा रहा है। हालाकि ये सिर्फ एक अनुमान है, क्योंकि असल मे भाजपा के अंदर अब भी पुष्कर सिंह धामी की ही पैरवी अगले सीएम के लिए की जा रही है।
धामी की पलटन पैरवी मे जुटी
अगर आपको याद होगा तो भाजपा ने प्रदेश में युवा चेहरे के नाम पर वोट मांगे थे। धामी को सीएम भी इसी आधार पर बनाया गया था । उन्हे अचानक ही गद्दी पर बैठा दिया गया था। काफी कम समय मिला उन्हे अपने क्षेत्र पर ध्यान देने के लिए वो प्रदेश का जिम्मा जो संभाल रहे थे – कुछ ऐसे ही तर्कों का हवाला देते हुए बीजेपी के कुछ नेता पुष्कर सिंह धामी को ही अगला सीएम बनाए जाने की पैरवी कर रहे हैं, बल्कि चंपावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी ने कार्यवाह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए अपनी सीट खाली करने तक का एलान कर दिया है। हालाकि केंद्रीय नेतृत्व की ओर से नियुक्त किए गए पर्यवेक्षक केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और पीयूष गोयल इन उठती आवाजों की ओर कितना ध्यान देते हैं ये देखने वाली बात होगी, और यूं भी शपथ ग्रहण में अभी देरी होने की भी उम्मीद है वजह है ‘होलाष्टक’
होलाष्टक के चलते शपथ में देरी ?
असल में 10 मार्च से होलाष्टक लगा है जो अगले 8 दिन होली तक रहेगा। अनुमान व्यक्त किया जा रहा है कि होलाष्टक की वजह से सरकार के गठन में देरी हो सकती है। बता दें कि कहा जाता है कि होलाष्टक के समय कोई शुभ या मंगल कार्य नहीं होता। और इसलिए 17 तारीख तक शपथ ग्रहण टल सकता है। हालाकि 21 मार्च को अगला शुभ मुहुर्त है, अब दिलचस्प यही देखना है कि ये मंगलमय मुहुर्त किसका मंगल करेगा, किसका चुनाव होगा उत्तराखँड के अगले सीएम चेहरे के तौर पर, धामी की होगी वापसी या फिर प्रदेश कि सियासत मे एक नया चेहरा खलबली मचाने के लिए आ रहा है….