Uttarakhand: मुख्यमंत्री धामी के चार साल के कार्यकाल को विशेषज्ञों ने बताया बेमिसाल अल्मोड़ा में हुई विचार गोष्ठी – The Hill News

Uttarakhand: मुख्यमंत्री धामी के चार साल के कार्यकाल को विशेषज्ञों ने बताया बेमिसाल अल्मोड़ा में हुई विचार गोष्ठी

अल्मोड़ा

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार के चार साल का कार्यकाल पूरा होने के उपलक्ष्य में अल्मोड़ा में एक महत्वपूर्ण विचार मंथन सत्र आयोजित किया गया। बुधवार को सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में आयोजित इस विचार गोष्ठी में शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने सरकार के कामकाज की समीक्षा की। कुलपति सतपाल सिंह बिष्ट की अध्यक्षता में हुए इस कार्यक्रम में विषय-विशेषज्ञों ने एक सुर में मुख्यमंत्री धामी के कार्यकाल को राज्य हित में लिए गए निर्णयों के लिहाज से बेमिसाल करार दिया।

इस अवसर पर साहित्य और पत्रकारिता से जुड़ा एक खास पल भी देखने को मिला। गोष्ठी के दौरान मुख्यमंत्री के मीडिया समन्वयक मदन मोहन सती द्वारा लिखित दो पुस्तकों ‘नायक से जननायक’ और ‘धामी की धमक’ का विमोचन किया गया। कुलपति सतपाल सिंह बिष्ट ने अपने संबोधन में कहा कि पुष्कर सिंह धामी एक कुशल नेतृत्वकर्ता साबित हुए हैं और उन्होंने पूरे राज्य को विकास के एक सूत्र में पिरोने का काम किया है। उनका मानना है कि बीते चार सालों में राज्य की छवि एक बड़े और कड़े फैसले लेने वाले राज्य के रूप में उभरी है।

गोष्ठी में वक्ताओं ने धामी सरकार की कई बड़ी उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा की। विशेष रूप से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने की दिशा में उठाए गए कदम, युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए लाया गया देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून और जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए बनाए गए कानून की जमकर तारीफ हुई। इसके अलावा सख्त भू-कानून के जरिए जमीनों की धोखाधड़ी रोकने और ऋषिकेश-कर्णप्रयाग व टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन जैसी कनेक्टिविटी परियोजनाओं को भी गेम चेंजर बताया गया।

रोजगार के मुद्दे पर भी गोष्ठी में सकारात्मक चर्चा हुई। आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया गया कि बीते चार वर्षों में पूरी पारदर्शिता के साथ 26 हजार से अधिक युवाओं को नियमित सरकारी नौकरियां दी गई हैं। सुशासन के मंत्र ‘सरलीकरण, समाधान और निस्तारण’ को धरातल पर उतारने से आम जनता की शिकायतों का तेजी से निपटारा संभव हो पाया है। सरकारी सेवाओं के डिजिटलीकरण ने सिस्टम को और अधिक जवाबदेह बनाया है।

महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में ‘लखपति दीदी’ योजना को एक क्रांतिकारी कदम बताया गया। वक्ताओं ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से मातृ शक्ति की आर्थिकी मजबूत हुई है। अंत्योदय की भावना के साथ समाज के कमजोर वर्गों, दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की भी सराहना की गई।

कार्यक्रम के अंत में मीडिया समन्वयक मदन मोहन सती ने आश्वासन दिया कि गोष्ठी में आए सभी रचनात्मक सुझावों का अध्ययन किया जाएगा और उन्हें आगामी नीतियों में शामिल करने के लिए मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। गोष्ठी में मेयर अजय वर्मा, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान, पूर्व विधायक कैलाश शर्मा और कुलसचिव डीएस बिष्ट समेत कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।

 

Pls read:Uttarakhand: हरिद्वार से अठासी और देहरादून से छत्तीस ट्रेनों का संचालन रेल मंत्री ने संसद में दी जानकारी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *